पति के न कमाने और उनके दुर्व्यवहार से दुःखी हूँ, बार बार आत्महत्या का विचार आ रहा है।

दीदी मुझे counselling की जरूरत है ,,,मेरे पापा का अभी कुछ दिन पहले देहांत हुआ है और मेरे पति के साथ संबंध ठीक नही है…ऊपर से जली कटी सुनाते रहते है…अपशब्द भी गुस्से में बोल देते है…,,क्यूंकि वो कुछ कमाते नहीं..वक़ालत करके बैठे हैं…कहते कोशिश कर रहा हूँ….सारा घर खर्च अध्यापक की जॉब करके मैं चलाती हूँ…मेरे दो छोटे बच्चे भी है…गुस्से में मेरे दोनो बच्चे लेकर अपने माता-पिता के पास चले गए है..वहां उनका एडमिशन स्कूल का करवा दिया है….,सब अस्त व्यस्त हो चुका है जीबन में कृपया मेरी मदद करे मेरा मन आत्म हत्या ,,,गृह त्याग जैसे चीज़ों के लिए कर रहा है ,,मैं भटक चुकी हूँ,,, कृपया मुझे रास्ता दिखाए*।

उत्तर – सबसे पहले शांत होकर गायत्री मंत्र जपिये। अपनी वर्तमान विचारधारा से बाहर आकर अपने विचारों को बदलिए।

📖पुस्तक निराशा को पास फटकने मत दो और गृहस्थ एक तपोवन का स्वाध्याय नित्य कीजिये।

👉🏽पहली निराशा पिता की मृत्यु से बाहर आइये। जो जन्मा है वो 100% मरेगा भी, उदाहरण जो स्कूल में एडमिशन लिया है एक न एक दिन पढ़ाई पूरी करके निकलेगा भी। दूध के पैकेट और फ़ूड प्रोडक्ट में भी expiry date होती है, इसी तरह सभी जीव वनस्पति इंसानों की expiry date निश्चित है। इसमें शोक करके निराश होना आप जैसी अक्लमंद अध्यापिका को शोभा नहीं देता।

निराशा और निरन्तर याद से आत्मा भटकते हुए घर मे प्रवेश कर जाती है, और घर पितृ दोष से ग्रसित हो जाता है। प्रेत पितरों का आह्वाहन आसान है विदाई सम्भव नहीं। क्योंकि शरीर के मिटते ही सम्बन्ध शरीरगत उसके जहन से मिट जाता है। फिर वही आत्मा परेशानी का सबब बनता है। अतः यादों से बाहर आकर आत्मा का तर्पण-श्राद्ध करके आत्मा का सम्पर्क ईश्वर से जोड़ कर स्वयं उससे मुक्त हो जाइए|

दूसरी समस्या पति के दुर्व्यवहार और न कमाने की समस्या।

पति सिर्फ पति नहीं है अब वो आपके अंश का पिता है। तो उससे नफरत करना अर्थात अपने बच्चों से नफरत करना। इससे परिवार बिखरेगा।

जब एक अध्यापक पति पत्नी को होममेकर की तरह रख के पूरा जीवन व्यतीत कर सकता है। तो एक अध्यापिका पत्नी पति को होममेकर बना के जीवन व्यतीत क्यों नहीं कर सकती।

पति को होममेकर की तरह अंतर्मन से स्वीकार कर लीजिए। प्रेम से उन्हें गृहकार्य में लगा दीजिये, बच्चो को घर मे पढ़ाने और घर सम्हालने की जिम्मेदारी में व्यस्त कर दीजिए। कभी भी कमाने वाले जीवनसाथी को न कमाने वाले जीवनसाथी को पूर्ण कमाई कभी नहीं बतानी चाहिए। सिर्फ़ पति के हाथ में घर खर्च के पैसे दीजिये। स्कूल फीस, बिजली का बिल इत्यादि ख़ुद भरिये। उन्हें गृहणी समझिए और स्वयं को पुरुषार्थी पुरूष और चीज़ों को मैनेज कीजिये।

प्रत्येक शुक्रवार को घर में दूध की खीर बना के उससे बलिवैश्व यज्ञ कीजिये।

आसपड़ोसी, आपके बच्चे और रिश्तेदार यदि पति के न कमाने पर प्रश्न करें तो मुस्कुरा के कहिए, आप किस पुराने जमाने की बात कर रही है। आज स्त्रियां पुरुष से किस क्षेत्र में कम है, विदेशो में जो जीवनसाथी ज्यादा कमाता है वो जॉब करता है और कम कमाने वाला घर मे बच्चे सम्हालता है। प्रसिद्ध उपन्यास लेखक – *चेतन भगत* भी होममेकर है। क्योंकि मैं ज्यादा कमाने की योग्यता रखती हूं इस हेतु मेरे महान पति ने मुझे कमाने हेतु प्रेरित किया और स्वयं घर सम्हालने का उत्तरदायित्व लिया। वो स्त्री को बहुत सम्मान देते है। बस इस डायलॉग के बाद कोई कुछ न बोलेगा  सबके मुंह मे ताला लग जायेगा।

पति को प्रेम से हैंडल करें, सुनो जी मैं समझती हूँ कि आप कमाने की बहुत कोशिश कर रहे है। आप कोशिश करिए हम आपके साथ है। यह प्यारा परिवार हमारा है और हम दोनों को मिलकर बच्चो को सुनहरा भविष्य देंगे।

जब तुम कमाने लग जाओगे तब एक मेड रख लेंगे, लेकिन अभी एक  की ही कमाई है, इसलिए जबतक घर मे हो प्लीज़ घर का काम सम्हाल लो। भूल से भी मूंह से उनके न कमाने और उनकी अयोग्यता पर कोई कमेंट पास न करें।

शादी के नौ साल हो गए है तो जितना आप कमाने के लिए उन्हें प्रेरित कर सकती थी आपने ने सबकुछ try कर लिया है। अतः अब आपके समझाने या लड़ने झगड़ने से वो कमाएंगे नहीं। अतः उन्हें बच्चो के ख़ातिर जैसे हैं वैसा स्वीकार कर लीजिये।

कुशल गृहणी कड़वे करेले को भी मस्त मसाला डाल के स्वादिष्ट बना के खा लेती है। इसी तरह कुशल बुद्धिमान गृहणी करेले के समान कड़वे व्यवहार के पति को भी चला लेती है। आप दूसरा विवाह करके दूसरा पति प्राप्त कर लोगे लेकिन बच्चो को कभी दूसरा पिता नहीं मिलेगा उन्हें कमाने वाला और उनसे घृणा करने वाला तीसरा-चौथा सौतेला बाप मिलेगा।

उपरोक्त बताई पुस्तको के स्वाध्याय के साथ साथ कम से कम तीन माला गायत्री मंत्र और एक माला कृष्ण गायत्री और एक माला राधा गायत्री मंत्र जपिये। सुबह ऑफिस जाती है तो नियमित घर मे शाम को ही सही बलिवैश्व यज्ञ कीजिये। इससे घर मे सबको  सद्बुद्धि मिलेगी और घर में सुख शांति आएगी। घर मे सामूहिक अखण्डज्योति का स्वाध्याय कीजिये।

गायत्री मंत्र – ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*

कृष्ण गायत्री मन्त्र –ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।

राधा गायत्री मन्त्र –ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।

मरने के बाद भी आत्मा को शांति न मिलेगी यदि जिन बच्चों ने आपके गर्भ से जन्मलिया है यदि वो दुःखी रहेंगे। जिम्मेदारी से भागकर मरना कायरता है, लक्ष्मीबाई-दुर्गा शक्ति बनके वीरता का परिचय देते हुए साहस-धैर्य-सद्बुद्धि और उत्साह के साथ जीवन के सफर को एन्जॉय कीजिये। धन्यवाद कीजिये उस ईश्वर का जिसने आपको बुद्धि देकर कमाने योग्य बनाया। कभी सोचा है पति भी न कमाता और आप भी कमाने योग्य न होती, दो वक्त के भोजन के लाले होते तो क्या होता?

अपनी कमाने की योग्यता पर गर्व कीजिये, पूरे परिवार को अपनी क्लास के स्टूडेंट समझ के सूझबूझ से परिस्थिति हैंडल कीजिये। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। मनःस्थिति बदलते ही परिस्थिति बदल जाएगी, नजरिया बदलते ही नज़ारे बदल जाएंगे। गृहणी पति को समझते ही उनपर गुस्सा नहीं आएगा

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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