कुछ लोग व्यक्तित्व निर्माण की कार्यशाला(Workshop) के पैसे लेते हैं और कुछ फ्री सेवा देते हैं..

कुछ लोग व्यक्तित्व निर्माण की कार्यशाला(Workshop) के पैसे लेते हैं और कुछ फ्री सेवा देते हैं…अपने ज्ञान को जन जन तक फ्री पहुंचाते हैं..फ्री कार्यशाला(Workshop) लेते है…दोनो में अंतर क्या है?*

उत्तर – चिकित्सक को दुआ और पैसे दोनो मिल भी सकते हैं और नहीं भी। यदि वो फ्री इलाज़ करता है लोगों का भला होता है, तो 100% दुआ मिलेगी, 100% पुण्यकर्म उसके अकाउंट में ईश्वर डालेगा। अब यदि चिकित्सक पैसा लेकर इलाज़ करता है, तो 100% पैसा मिलेगा। दुआ मिलेगी या नहीं कोई गारंटी नहीं, पुण्यकर्म मिला या नहीं कोई गारंटी नहीं। लेकिन यदि चिकित्सक मूल्य कम लेकर सेवा ज्यादा देता है, उत्तम सेवा देता है। तो दुआ भी मिलेगा और पुण्यकर्म भी।

तो मूल्य कम और सेवा ज्यादा का भाव लेकर कार्यशाला(Workshop)    ली जाती है, तो पुण्य और दुआ दोनो मिलेगा।

यहां सही गलत कुछ कह नहीं सकते है, एक चिकित्सक की तरह ही अध्यात्म चिकित्सक के पास चयन का मार्ग है। कर्म उसके हाथ मे है फ़ल परमात्मा के हाथ में है।

तो कभी रोजी रोटी के लिए कमा लो तो कभी दुआओं के लिए कमा लो। सन्तुलन ही अध्यात्म है। सन्तुलन कमाई और दान के बीच न हुआ तो गड़बड़ शुरू होगी। प्रतिभा/ज्ञान दान की महिमा अनन्त है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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