प्रश्न -मैं और मेरा भाई देश की सेवा करना चाहते हैं

प्रश्न-मैं और मेरा भाई देश की सेवा करना चाहते हैं, हम गायत्री परिवार से जुड़े हमारी बुआ के कारण, साधना के साथ गुरुदेव आराधना भी बोले है। मेरी उम्र 17 साल है। लेकिन मेरे मम्मी-पापा कहते हैं पहले पढ़ाई पूरी करो और कुछ बन जाओ फिर जो मर्जी आये वो करना। बड़े भइया की जॉब लग गयी है उन्हें बोलते हैं पहले घर बस जाए फ़िर जो मर्ज़ी हो करना। दादी पोते का मुंह देखना चाहती है। ऐसे में क्या करूँ?*

पहले लम्बी गहरी श्वांस लो, और ध्यान से देश सेवा में अभी तुम क्या कर सकते हो वो टिप्स सुनो। अभी तुम 12वीं की परीक्षा पूरे मनोयोग से दो और अच्छे अंक प्राप्त करो। क्यूंकि एक योग्य व्यक्ति बनने पर तुम ज्यादा बेहतर तरीक़े से देश के लिए कुछ कर पाओगे।

1- भिखारी न बनना भी एक देश सेवा है।
2- ज़्यादा कमाकर ज़्यादा टैक्स भरना भी देश सेवा है। अपनी कमाई से समाजसेवा करना भी देश सेवा है।
3- स्वयं को योग्य साक्षर और उद्यमी बनाना देश सेवा है।
4- यदि आप समाधान का हिस्सा नहीं है तो आप स्वयं एक समस्या है। अतः जो कर सकते हो उसे जरूर करो। तो देश की समस्या बेरोजगारी, भिक्षावृत्ति, भुखमरी, प्रदूषण, गंदगी इत्यादि समस्याओं के समाधान में लगो।
5- तुम्हारी मैथ अच्छी है आसपास के बच्चों की बाल सँस्कारशाला लो, उन्हें अच्छे विचार दे उनमें राष्ट्रचरित्र भी गढ़ो और देश का जिम्मेदार नागरिक बनाओ। उन्हें मैथ में एक्सपर्ट बना दो।
6- आसपास जब भी वृक्षारोपण, सफ़ाई अभियान, व्यसन मुक्ति रैली हो थोड़ा समय वहां जरूर दो।
7- अपना आदर्श सुभाषचंद्र बोष और अरविंद घोष को बनाओ, कठिन से कठिन सिविल प्रतियोगिता परीक्षा को पास करके स्वयं को साबित कर दो। फ़िर पूर्ण समर्पण से राष्ट्र निर्माण में लग जाओ।
8-  शादी करना या न करना, दादी को पोता पोती देना ये सब अभी तय करने का वक़्त नहीं है। अभी सिर्फ़ देश के लिए सबसे योग्य व्यक्ति बनने का समय है। वृद्ध माता-पिता, दादा-दादी की सेवा और उनकी जरूरत पूरी करना भी ईश्वर की आराधना और देश सेवा है। लेकिन यदि कोई माता-पिता की इच्छा विवेकदृष्टि से सही न लगे तो उसे फ़िलहाल इग्नोर कर दो। बाद में सोचना कि उसका क्या करना है।
9- भैया को क्या करना है क्या नहीं यह निर्णय उनपर छोड़ दो।
10- रोज नित्य गायत्री जप और ध्यान के साथ अच्छी पुस्तकों और क्रांतिधर्मी साहित्य का अध्ययन थोड़ा थोड़ा करो और स्वयं के अंतःकरण को राष्ट्रसेवा हेतु राष्ट्र जगाने वाला, एक योग्य पुरोहित बनाने की तैयारी में लगा दो।

इतना योग्य समर्थ सभ्य सुसंस्कृत शालीन और मेधावी युवा बनो कि तुममें लोग सुभाषचंद्र बोष और विवेकानन्द की छवि देखें। ग्रेजुएशन तक धैर्य के साथ स्व निर्माण करो। बाल सँस्कारशाला और युवा सँस्कारशाला चलाते रहो। भीतर की आत्मशक्ति जागृत करो जिसे कालांतर में देशनिर्माण-युगनिर्माण हेतु खर्च कर सको।

श्वेता चक्रवर्ती

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