दिलोदिमाग की घबराहट शांत करें
दिलोदिमाग की घबराहट शांत करें,
जीवन की जंग को बहादुरी से लड़ें
जब दिल घबराता है,
दिलोदिमाग थर्राता है,
कुछ अनहोनी के पूर्वाभास से,
मन जब बहुत घबराता है…
कुछ तो ग़लत हो रहा है,
कुछ तो अनहोनी घट रहा है,
नकारात्मक विचारों के तूफ़ान से,
जब सर में दर्द बढ़ जाता है…
ऐसे में स्वयं को शांत करना,
कठिन बहुत कठिन लगता है,
नकारात्मक विचारों से बाहर आना,
जब असम्भव सा लगता है..
तब निम्नलिखित उपायों से,
कुछ त्वरित सुकून मिलेगा,
स्वयं को कायर से बहादुर बनाने का,
मानसिक सम्बल मिलेगा…
सांस कभी उथली तो,
कभी गहरी लो,
कभी नाक से सांस लो,
और मुंह से धीरे धीरे छोड़ दो…
मन में भावना करो कि,
तुम गुरु को पुकार रहे हो,
गुरु तुम्हारे आह्वाहन पर आ गए हैं,
ऐसा अनुभव करो, ऐसी भावना करो…
अब तुम अकेले नहीं हो,
अब गुरु के साथ हो,
जो होगा अब सब अच्छा होगा,
ऐसा दृढ़ता से भाव करो…
जिंदगी की महाभारत में,
गुरु तुम्हारे सारथी बन गए हैं,
तुम अर्जुन हो,
गुरु श्रीकृष्ण तुम्हारे सारथी बन गए हैं..
इस युद्ध के परिणाम की,
अब तुम परवाह मत करो,
तुम तो बस अपना युद्ध,
अपना कर्म करने में ध्यान एकाग्र करो…
सैनिक की तरह सोचो,
जीवन युद्ध में डट जाओ,
युद्ध जीतोगे या शहीद होगे,
लेक़िन कायर कभी न कहलाओगे..
अपने जीवन की जिम्मेदारी जब स्वयं उठाओगे,
अपने भीतर बहादुरी और साहस के विचार जगाओगे,
यही जीवन जीना बहुत आसान हो जाएगा,
मन की उलझनों से बाहर आना सम्भव हो जाएगा।
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन