मां, मुझ अजन्मी को जन्म लेने दो, पापा मुझे गर्भ में मत मारो

मां, मैं तुम सी एक नारी हूँ,
क्या ये खता भारी है,
इसलिए मुझे गर्भ में ही मारने की,
चल रही तैयारी है।

मां,मुझे भी जन्म लेने दो,
मां, मुझे भी संसार देखने दो,
पापा, मुझे भी जन्म लेने दो,
पापा, मुझे भी संसार देखने दो।

क्या स्त्री के बिना,
जीवन सृष्टि हो सकती है?
क्या स्त्री के बिना,
किसी की घर गृहस्थी बस सकती है?

मां, मेरी हत्या मत करो,
पापा, इस डॉक्टर को रोक लो,
मुझे दर्द हो रहा है,
मेरा रक्त भीतर बह रहा है।

मेरे टुकड़े टुकड़े ये डॉक्टर,
कसाई बनके कर रहा है,
मां अब बेहोश है,
और पिता मेरी हत्या होते देख रहा है।

मुझसे मेरा शरीर छीन लिया,
मुझे भटकती आत्मा बना के छोड़ दिया,
मेरा अस्तित्व मुझसे छीन लिया,
एक बेटी को उसके माता-पिता ने,
गर्भ में ही मार दिया।

कोई जेल न होगी,
कोई सज़ा संसार न देगा,
लेकिन वो ऊपर वाला,
तुम्हारे कर्मों का,
तुमसे जरूर हिसाब लेगा।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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