नुक्कड़ नाटक – हम सुधरेंगे – युग सुधरेगा

9 वर्षीय आदित्य ने अपनी क्लास 4 की अध्यापिका से स्कूल में लगा सदवाक्य *हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, हम बदलेंगे युग बदलेगा* देखकर पूंछा। मैंडम ये युग हमारे बदलने से कैसे बदलेगा? युग वास्तव में क्या है?

मैडम ने सभी बच्चों को पास बुलाया और कहा चलो आज एक प्रैक्टिकल करते हैं।

अच्छा आज सब अपनी पेंसिल और कागज़ का कचड़ा क्लास में नीचे गिराएंगे।

थोड़ी देर में क्लास पूरी गन्दी हो गयी। मैडम ने दूसरे क्लास के कुछ बच्चों औए मैडम को बुलाया और पूंछा आपको ये क्लास कैसी लगी। बच्चों ने कहा छी छी कितनी गन्दा क्लास् रूम है।

अब मैंडम् ने दूसरे क्लास के बच्चों को वापस भेज दिया। और आदित्य के क्लास के बच्चों से कहा अब आप लोग वो कचरा उठा लो जो आपने किया था। सबने कागज और पेन्सिल का कचरा उठा के डस्टबीन में डाल दिया। अब पुनः दूसरी क्लास की मैडम और बच्चों को देखने के लिए बुलाया। दूसरी क्लास के बच्चों ने कहा वाह कितनी साफ़ सुथरी क्लास है।

अब आदित्य और उसकी क्लास के बच्चों को मैडम ने कहा – आप में से प्रत्येक ने कचरा किया तो क्लास गन्दी हो गयी और आपने अपना अपना एरिया साफ़ किया तो क्लास साफ़ सुथरी सुन्दर हो गयी। इसी तरह हम में से प्रत्येक गन्दगी न करे तो ये देश भी साफ़ सुथरा हो जाएगा।

इसीलिए युगऋषि कहते हैं हम सुधरेंगे युग सुधरेगा,
हम बदलेंगे युग बदलेगा।

हम सब से मिलकर समाज बना है, और हमारे समाज से ही राष्ट्र और सभी राष्ट्रों से युग अर्थात् एक समय काल।

यदि हम सब सुधर जाएँ, गन्दगी और प्रदूषण न फैलायें, वैचारिक प्रदूषण न फैलायें तो समाज सुधर जाएगा – युग सुधर जाएगा।

मैडम ने पूंछा – अच्छा ये बताओ दीपावली के दिन जो देश जगमगाता है। बताओ कैसे?

आदित्य और बच्चे बोल पड़े सब सिर्फ अपने अपने घर में दीपक और लाईट सजाते हैं। क्यूंकि सब एक दिन एक साथ एक समय जलाते हैं इसलिए पूरा देश उस समय जगमगा जाता है।

मैडम ने बच्चों के लिए तालियां बजाई। बोला इसी तरह यदि हम सब अपने अपने कर्तव्य का पालन करे और हम सब सुधर जाएँ तो युग सुधर जाएगा। बच्चों को बात समझ आ गई…

और बच्चे जोर से और उत्साह में बोल उठे –
हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा।
हम बदलेंगे, युग बदलेगा।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन

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