अच्छे संस्कारों से राष्ट्र निर्माण

राष्ट्र निर्माण के लिए जरूरी है संस्कार,
संस्कारों से ही लेता है व्यक्तित्व आकार,
व्यक्तियों का समूह बनाता है समाज,
समाजों के समूह से ही बनता है राष्ट्र।

यदि धरा में परिवर्तन लाना है,
देश को सुखी समृद्ध बनाना है,
नई पिढ़ी में अच्छे संस्कार गढ़ना होगा,
राष्ट्र निर्माण की आधारशिला,
संस्कारों को समझना होगा।

परिवर्तन पहले सोच में आएगा,
सोच से वह व्यवहार में आएगा,
व्यवहार की निरन्तरता आदत में बदलेगी,
अच्छी आदतें ही,
फिर व्यक्तित्व में संस्कार गढेंगी।

जिस देश के युवाओं में,
देश सेवा का  संस्कार होगा,
देश के सुनहरे भविष्य के निर्माण को,
भला फ़िर कौन रोक सकेगा?

जिस देश के युवाओं में,
युग पीड़ा- पतन निवारण का,
संस्कार होगा,
उस देश के सुख सौभाग्य को,
भला फ़िर कौन नज़र लगा सकेगा?

जिस देश के युवाओं में,
पुरुषार्थ और स्वावलम्बी बनने का,
संस्कार होगा,
उस देश को सुखी-समृद्ध होने से,
भला फ़िर कौन रोक सकेगा?

जिस देश के युवाओं में,
चारित्रिक दृढ़ता और शालीनता का,
संस्कार होगा,
उस देश की श्रेष्ठता को,
भला फ़िर कौन चुनौती दे सकेगा?

जिस देश के युवाओं में,
अच्छे स्वास्थ्य हेतु,
नियमित योग-व्यायाम करने का,
संस्कार होंगा,
उस देश को सबल,
 और शक्ति सम्पन्न बनने से,
भला फ़िर कौन रोक सकेगा?

राष्ट्र के उज्जवल भविष्य  निर्माण हेतु,
बच्चों और युवाओं में,
अच्छे संस्कारों को गढ़ना होगा।

अच्छे संस्कारों को गढ़ने हेतु,
नित्य अच्छे विचारों को देना होगा,
अच्छे विचारों हेतु,
युवाओं को नित्य स्वाध्याय करना होगा,
अच्छे संस्कारों को,
युवा व्यक्तित्व में नित्य गढ़ना होगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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