प्रश्न – 112 -यज्ञ ज्ञान विज्ञान – प्रश्नोत्तर

यज्ञ ज्ञान विज्ञान – प्रश्नोत्तर(प्रश्न 112)

प्रश्न – 112 – यज्ञ हमें भयमुक्त कैसे बनाता है?

उत्तर – प्रेम और क्रोध की तरह भय भी एक भावना है। लेकिन यह नकारात्मक भाव है, भय के मन मे प्रकट होते ही हमारे ग्लैंड्स से जहरीला रसायन निकलता जो खून में मिलता है। जो शरीर को कमज़ोर बना देता है, भयग्रस्त इंसान ठीक से खड़ा होकर कोई कार्य नहीं कर पाता।

भय के दो कारण है, अनिष्ट की आशंका और अज्ञात का भय। इन दोनों के केंद्र में अज्ञानता होती है।

अंधेरे में जब डरते हो, तो भी यही कारक काम करते हैं। भूत से जब डरते हो तब भी यही कारक काम करते हैं।

जब आँख से दिखाई न दे, उसे अंधापन कहते हैं। जब दिमाग़ से दिखाई न दे उसे अज्ञानता कहते हैं।

आंखे होते हुए भी प्रकाश के अभाव में अंधेरे में अंधापन हो जाता है। दिमाग़ होते हुए भी सम्बन्धित ज्ञान के अभाव में अज्ञानता वश दिमागी अंधापन आ जाता है।

यज्ञ केवल अंतर्जगत ज्ञान का प्रकाश की मोमबत्ती जला देता है। प्रकाश से रस्सी में सांप का भय तिरोहित हो जाता है। मंन्त्र ध्वनितरँग भय से उतपन्न जहरीले रसायन के प्रभाव को तत्काल प्रभाव से रोककर एंटीडोड दे देती हैं।यज्ञ का प्रकाश शरीर के अग्नितत्व को जागृत करता है। बन्द पड़े मनोमय कोष में ऊर्जा पहुंचाकर ज्ञान के श्रोत से मन को जोड़ता है। इस तरह यज्ञ हमे भयमुक्त करता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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