प्रश्न – 64 से 66, बाल सँस्कार शाला, सोचने का तरीका
प्रश्न – 64 – किसी चीज़ को देखकर सोचने का सही तरीका क्या है?
उत्तर – मूर्ख व्यक्ति कुछ देखता है और तुरन्त उसके बारे में पूर्व अनुभव के अनुसार राय बना लेता है।
बुद्धिमान व्यक्ति जब कुछ देखता है, थोड़ा ठहर कर उसकी छान-बीन(explore) करता है। तब वर्तमान साक्ष्य तर्क तथ्य प्रमाण के अनुसार ही अपनी राय प्रेषित करता हैं।
अतः बच्चों आपको पूर्वाग्रह को त्याग कर जो जैसा है उसे वैसा देख के एक्स्प्लोर करके तब अपनी राय देनी चाहिए। यही बाल सँस्कार शाला में सिखाया जाता है।
प्रश्न – 65 – चतुराई(Cleverness) और बुद्धिमानी(wisdom) में क्या अंतर है?
उत्तर – चतुराई कैमरा का शार्प फ़ोकस लेंस है जो केंद्रित होकर काम निकालता है। बुद्धिमानी एक वाइड रेंज कैमरा है। जो वर्तमान कार्य के साथ साथ बिफोर इफेक्ट्स और आफ्टर इफेक्ट्स की विस्तृत जानकारी के साथ कार्य करता है। चतुराई से हो सकता है त्वरित लाभ मिल जाये और बाद में परेशानी उठानी पड़े। बुद्धिमानी में हो सकता है देर से लाभ मिले लेक़िन लंबे समय तक लाभान्वित होगा।
गायत्री मंत्र जप और ध्यान से बुद्धिमानी बढ़ती है, चीज़ों को गहराई से समझने की क्षमता बढ़ती है।
प्रश्न – 66 – प्रतिक्रियात्मक(Reactive) और सक्रिय(Pro-Active) सोच में क्या अंतर है?
उत्तर – दुर्भाग्यवश पूरे स्कूल कॉलेज और सर्वत्र हमें प्रतिक्रियात्मक सोच सिखाई जाती है। घटना घटने पर प्रतिक्रिया देंगे और कैसे इस पर पूरा पाठ्यक्रम बना है।
वस्तुतः जिंदगी में सफलता हमें सक्रिय (pro-active way) में सोचने पर मिलती है। बाल सँस्कार शाला का मुख्य उद्देश्य ही है बच्चो में सक्रिय सोच विकसित करना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन