प्रश्न – एक आम जनता को भड़काकर उन्हें आतंकी कैसे बनाते हैं? उनके दिमाग़ में जहर कैसे भरते हैं?

इन आतंकियों के ज़ाल में अपने बच्चों को फँसने से कैसे बचायें? अपने बच्चों में राष्ट्रचरित्र कैसे गढ़ें?

उत्तर – आत्मीय बहन, बच्चे गीली मिट्टी होते हैं उन्हें जिस साँचे में उन्हें डालोगे वो उसके अनुसार ढल जाते हैं। *उदाहरण* – बच्चे का शाकाहारी या मांसाहारी होना।

*बड़े लोग भी ब्रेन वाश का शिकार होते हैं*:-
*आतंक और ब्रेनवाश का छोटा उदाहरण* – यदि आतंकी और कुसंस्कारी बहु आ जाये तो अच्छे भले माँ की सेवा करने वाले लड़के को बार बार माँ के विरुद्ध बोलकर उसी के हाथों माता पिता को घर से बाहर निकलवा देती है।

दूसरी तरफ यदि आतंकी और कुसंस्कारी सास हो तो अपने बेटे को लगातार भड़काकर बहु को जिंदा दहेज के लिए जलवा देती है।

अत्यधिक टीवी सीरियल देखने वाले स्त्री पुरुष में टीवी सीरियल जैसा पहनावा, बोली और शक करते हुए देखा जा सकता है।

दुर्योधन का ब्रेनवाश शकुनि ने इस कदर कर दिया कि उसने स्वयं का सर्वनाश कर लिया।

संगत से रंगत बदलती है, लगातार संपर्क से वो चरित्र में रच बस जाती है।

*इसका ही बड़ा रूप धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक आतंकवाद है।*

आतंकवाद एक बहुत बड़ा बिज़नेस है, जिसे हथियारों का कारोबार करने वाली कम्पनियां और बिजनेसमैन लोग चलाते हैं। अमन शांति में हथियार नहीं बिकते, अतः आतंक का ख़ौफ़ यह फैलाते हैं फिर हथियार बिक़वाते हैं।

वो धर्म वाले जल्दी भड़काने पर भड़कते नहीं हैं क्योंकि जिनमे साक्षरता का दर अधिक है। इस्लाम मानने वाले अमीर और पढ़े लिखे लोग भी नहीं बहकावे में आते।

इस्लाम मे जो पढ़े लिखे नहीं है और गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं उनकी ग़रीबी और मजबूरी का ये आतंकी फायदा उठाते हैं, दूसरा अनपढ़ होने के कारण उर्दू अरबी में बोला कोई भी भड़काऊ ज्ञान को धर्म मान लेते हैं।

जिहाद और इस्लाम के रक्षण के झूठे प्रोपेगैंडा के लिए फंडिंग भी यही बिजनेसमैन करते हैं। क्योंकि यह उनके बिजनेस का इन्वेस्टमेंट है।

आतंकी निम्नलिखित तरीक़े नए आतंकी बनाने के लिए उपयोग में लेते हैं:-

1- ग़रीब सर्वत्र गरीबी से परेशान हैं, इनके बच्चों को कुछ पैसे देकर  ट्रेनिंग कैंप ले आते हैं। बचपन से उन्हें इस्लाम के नाम पर शहीद होने को तैयार करते हैं।

2- कत्लेआम, दहशतगर्दी इत्यादि  पहले जानवरों पर प्रैक्टिकल करके करवाते हैं। फ़िर आसपास के आम नागरिकों पर या कैद किये हुए दूसरी जनता पर।

3- मनोवैज्ञानिक तरीक़े से उन्हें आतंकी वाक्य सुनवाये, दोहरवाये, दिखाए, करवाये और लिखवाए जाते हैं। आज्ञा पालन न करने पर भयंकर शारीरिक मानसिक पीड़ा से गुज़ारते हैं।

4- उन्हें मनगढ़ंत इस्लामी खतरे की बात बताई जाती है। जब करीब पांच से 7 वर्ष में आतंकवाद में बच्चा रच बस जाता है तो उसमें से होशियार बच्चो को पढ़ाई के लिए फंडिंग की जाती है। पढ़लिखकर यह युवा कहीं आतंकवाद छोड़ न दें, इसलिए इनके परिवार वालों को बंधक बना कर रखा जाता है।

5- मनुष्य की लालच स्वर्ग जाने की सदियों से रही है। अब जप-तप और अच्छे कर्मों से आत्मकल्याण को यह टाइम टेकिंग प्रोसेस बताते हैं। अतः शॉर्टकट बताते है कि इस्लाम न मानने वाले का कत्ल करो तो जन्नत और 72 हूरें मिलेंगी। इसमें दूध, दही, शहद और 56 पकवान का लालच देते हैं। इस लालच के चक्रव्यूह में आमजनता फंस जाती है।

6- मनुष्य को एक बार में जहर दो तो वो मर जायेगा, लेकिन नित्य थोड़ा थोड़ा जहर दो तो वो पचने लगेगा और एक दिन विषपुरुष/विषकन्या बन जायेगा। यही आतंकवाद अपनाता है। जैसी संगत वैसी रंगत चढ़ जाती है।

7- पढ़े लिखे मुस्लिम युवाओं को टारगेट करने के लिए उन्हें ईमेल, फोन मेसेज, सोशल मीडिया के जरिये भड़काऊ बातें भेजते हैं। इस्लाम खतरे में है और इस्लाम मानने वालों को अन्य धर्म वाले परेशान कर रहे हैं, ऐसे झूठ फरेब के क्लिप्स वगैरह भेजी जाती है।

8- मनुष्य का दिमाग़ कुछ इस तरह बना है कि यदि कोई बात बार बार उसके दिमाग को बताई जाय, उससे दोहरवाई जाय, उसे पढ़वाया और लिखवाया जाय तो वह उसे ही सच मान लेता है। वो वैसा ही बन जायेगा।

9- आतंकी के ज़ाल में कभी कभी उपरोक्त प्रयास से भी जब नहीं फँसता तब वो अंतिम तरीका अपनाते हैं, उनके प्रियजनों किडनैप करके बंधक बनाकर उन्हें मजबूर करके आतंकी गतिविधि करवाते है।

*यदि आप चाहते हो कि आपका बच्चा किसी के भड़काने पर न भड़के, किसी आतंकी ज़ाल में न फंसे तो उसे आज से ही गायत्री जप, ध्यान, योग, प्राणायाम और अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करवाइये। उसके भीतर स्वतन्त्र चिंतन विकसित कीजिये। उसके अंदर विवेकबुद्धि जगाइए।*

देशभक्त वीरों की कहानियां और गीत बच्चे को सुनाइये, पढवाईये, लिखवाइए, बुलवाइए।

प्रत्येक स्कूल और घर मे निम्नलिखित नारे बच्चो से बुलवाइए:-

भारत माता की- जय
भारतीय संस्कृति की – जय
जन्म जहाँ पर – हमने पाया
अन्न जहां का – हमने खाया
ज्ञान जहां से – हमने पाया
वस्त्र जहाँ के – हमने पहने
वो है प्यारा – देश हमारा
प्यारा प्यारा – देश हमारा
देश की रक्षा कौन करेगा- हम करेंगे हम करेंगे
देश की ख़ातिर कौन मरेगा- हम मरेंगे हम मरेंगे
देश निर्माण कैसे होगा – व्यक्ति के निर्माण से
भारत माँ का मस्तक ऊंचा होगा- हमारे त्याग और बलिदान से
भारत माता की जय

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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