प्रश्न – श्वेता दीदी सब कह रहे हैं आज के चाँद में गुरुदेव दिख रहे हैं ?

उत्तर – आत्मीय बहन, पूर्णिमा का चाँद हृदय का दर्पण बन जाता है। हृदय में बैठे ईष्ट या सद्गुरु की ब्लैक एंड व्हाइट(पुराने जमाने की निगेटिव) की तरह तस्वीर दिखती है। जो पूर्णतया स्पष्ट नहीं होती, जिस प्रकार स्वप्न में हम प्रियजन और गुरूदेव को देखते हैं ठीक वैसे ही खुली आँखों से चंद्रमा में दिखते हैं। यह सबकुछ भावना प्रधान होता है।

बुद्धि से गुलाब के पुष्प में प्रेम नहीं दिखता, गुलाब में छुपे प्रेम को महसूस करने के लिए भावदृष्टि चाहिए। ठीक इसी तरह प्रियतम ईष्ट को चंद्रमा में देखने के लिए भाव दृष्टि चाहिए।

जैसी भाव दृष्टि वैसी सृष्टि चंद्रमा में दिखती है, जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत तिन देखी तैसी। यह 100% सत्य है कि हृदय में बसे भगवन चंद्रमा के दर्पण में दिखते है।

यह भी सत्य है यदि कोई प्रेमी किसी से दिलोजान से प्रेम करता है तो वो अपनी प्रेमिका को चंद्रमा के दर्पण में देखेगा।

हम जब एकटक पूर्णिमा के चंद्रमा को मध्यरात्रि में कुछ मिनटों तक देखते हैं, तो थोड़ी देर में कुछ अस्पष्ट पहले आकृति उभरती है, फिर ब्लैक एंड व्हाइट सिल्वर आकृति केवल गुरूदेव की दिखती है। अब आधुनिक विज्ञान इसे इल्यूजन(भ्रम) समझ सकता है, लेकिन मनोविज्ञान में यह उस व्यक्ति के भाव चित्र की सच्चाई है। चंद्रमा की प्रोजेक्टर स्क्रीन पर हृदय में स्टोर स्ट्रांग फीलिंग्स/मनोभाव प्रोजेक्ट हो रहा है। जो उस व्यक्ति के लिए सच्चाई है।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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