गायत्री मन्त्रलेखन के मनोवैज्ञानिक लाभ

बच्चों से कहें यदि हैण्ड राईटिंग सुन्दर प्रभावशाली और व्यवस्थित बनानी है, तथा साथ ही गायत्री मन्त्र की ध्यान धारणा द्वारा दिमाग़ भी एक जगह फ़ोकस करके मानसिक व्यायाम करना है कुशाग्र बुद्धि के लिए तो रोज़ दो पेज मन्त्र लेखन करें।

जो व्यक्ति रोज मन्त्र लेखन करता है उसे मन्त्र जप से तीन गुना ज्यादा लाभ मिलता है।

जॉब करने वाले युवा कभी डिप्रेशन का शिकार नहीं होंगे यदि नियमित मन्त्र लेखन करेंगे। गर्भवती महिला के बच्चे का दिमाग़ सन्तुलित और प्रभावशाली ढंग से विकसित होगा यदि नियमित मन्त्र लेखन करेगी। गृहणी यदि नियमित मन्त्र लेखन करेंगी तो कभी झुंझलाहट और मानसिक अस्थिरता की शिकार नहीं होंगी।

वृद्धावस्था की कॉमन भूलने की और अस्थिर चित्त होने की बीमारी से यदि मुक्ति चाहते हो तो मन्त्र लेखन नियमित करें। यह मन्त्र लेखन प्रक्रिया मानसिक शारीरिक लिंक बनाये रखती है। और हाथ कप कंपाने वाली प्रॉब्लम भी नही  होगी यदि रोज मन्त्र लेखन जीवन में होगा। सर के पीछे के भाग से मेरुदण्ड और हाथ का संयोजन नियमित मन्त्र लेखन वालों का कभी डिस्टर्ब नहीं होता।

विचारक्रांति

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