प्रश्न – दी, मैं सदा अनायास भावी भविष्य को लेकर आशंकित रहता हूँ, अजीब सा भय हरवक्त मेरे भीतर रहता है। जब किसी का भला करने की कोशिश करता हूँ, उसका भला तो होता नहीं उल्टा मैं मुसीबत में पड़ जाता हूँ। मेरा मार्गदर्शन करें।

उत्तर – आत्मीय भाई, पुष्प खिलने से पहले यह नहीं सोचता कि उसे कौन तोड़ेगा या पेड़ में लगा रहने देगा? कोई प्रेयसी के पास ले जाएगा या किसी की कब्र में या चिता में सजेगा। कोई भगवान को चढायेगा या गुलुकन्द बना के मसलकर खा जाएगा। पुष्प केवल अपना कर्तव्य खिलने का और खुशबू बिखेरने का करता है। वो तो पूरे उल्लास और उत्साह से खिलता है और जहां जिस परिस्थिति में भी हो खुशबू बिखेरता रहता है।

यही जिंदगी में हमें पुष्प से सीखना है। भविष्य में क्या होगा? यह सोच सोच कर टेंशन लेना हमारे लिए उचित नहीं। हम कितने दिन जिएंगे इससे ज्यादा जरूरी है कि हम कैसे जी रहे है यह सोचना।

संघर्ष और जिंदगी दोनों एक दूसरे के पूरक है, गर्भ में पहुंचने के लिए लाखों के साथ दौड़े, गर्भ में संघर्ष किया बाहर आने में, गिरे पड़े फिर खड़े हुए, कभी कम्पटीशन कभी जॉब हर पल संघर्ष चल रहा है। इस संघर्ष को खिलाड़ी की तरह एन्जॉय करो। हार – जीत की परवाह किये बिना प्रत्येक मैच में अपना 100% बेस्ट करने की कोशिश करो। जिस दिन जन्मे थे उसी दिन तुम्हारी मृत्यु का दिन भी लिख दिया गया है, जिस प्रकार सांसारिक प्रोडक्ट की एक्सपायरी डेट है उसी तरह हम सबकी एक्सपायरी डेट है। अतः जो समय बीच का है इसे अपनी तरफ से बेहतर जीने का प्रयास करो।

मन कमज़ोर है तो उसका इलाज़ करो, जैसे अगर शरीर में कमजोरी होती है तो तुम पौष्टिक आहार और एनर्जी ड्रिंक लेते हो, वैसे ही कमज़ोर मन को मजबूत करने के लिए वीरों और वीरांगनाओं की कहानियां/जीवनियां पढो, समझो कि कैसे उन्होंने ने वीरता पूर्वक संघर्षों को झेला।

जब तुम कहानी पढोगे, तो प्रत्येक कहानी के वीरों के विचार तुम्हारे दिमाग़ में प्रवेश करेंगे, वो तुम्हारे कमज़ोर विचारों को मजबूत विचारो से रिप्लेस कर देंगे। तुम्हें एनर्जी से भर देंगे। अकबर बीरबल की कहानी में स्वयं को बीरबल महसूस करते हुए घटना को सोचो और बुद्धि की चतुराई सीखो।

गायत्री मंत्र मन को मजबूत बनाता है इसे प्राचीन ऋषि, आधुनिक विज्ञान और आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन सिद्ध कर चुका है। कम से कम 108 बार धीरे धीरे उगते हुए सूर्य का ध्यान कर उसका अर्थ चिंतन करते हुए जपो – मन ही मन सोचो, वह प्राणस्वरूप परमात्मा तुम्हे प्राणवान बना रहा है, वह दुःखनाशक परमात्मा तुम्हे दुख दूर करने वाला बना रहा है, वह तुम्हें श्रेष्ठ तेजस्वी ओजस्वी वर्चस्वी साहसी और महान बना रहा है।  सुबह सूर्य भगवान को जल चढ़ाओ, थोड़ा जल बचा कर माथे में लगाओ, हाथ को सूर्य की तरफ ऐसे रखो मानो आग ताप रहे हो और निम्नलिखित तरीक़े से 12 या 24 बार गायत्री मंत्र हल्के गीले माथे से पढो।
*ॐ भूर्भुवः स्व: ॐ ॐ ॐ तत स्वितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात ॐ ॐ ॐ*

जपने के बाद दोनों हाथ तेजी से रगड़ो और चेहरे पर क्रीम जैसे लगाते है उस तरह चेहरे पर हाथ घुमाओ। भाव करो सविता शक्ति और आत्मविश्वास की शक्ति तुम्हे मिल गयी है।

कांपते हुए हाथ से किसी को गर्म चाय देने की कोशिश करोगे तो चाय उस पर भी गिरेगी और तुम पर भी दोनों जलोगे। भलाई की जगह बुराई मिलेगी। तुम्हारा मन भयाक्रांत और कांपते हुए किसी की मदद करने की कोशिश करेगा तो ऐसा ही विपरीत परिणाम मिलेगा। अतः किसी की मदद करते वक्त गृहणी की तरह सोचो, कि आग पर खाना तो बने लेकिन हाथ न जले। उस व्यक्ति की मदद तो हो लेकिन तुम भावावेश में न उलझो। मदद में असावधानी नहीं होनी चाहिए, बरगद के पेड़ की तरह मदद करो, कोई आये मदद मांगने छाया दो। लेकिन स्वयं की जड़ मजबूती से मिट्टी में गाड़े रहो। स्वयं को उखाड़कर किसी को छाया देने जाओगे तो वृक्ष सूखेगा और किसी को छाया न दे सकेगा।

इसे एक कहानी के माध्यम से समझो, एक राजा एक नौकर की जॉब के लिए इंटरव्यू ले रहा था। सबसे प्रश्न पूँछता कि मान लो मेरे और तुम्हारे दोनों की दाढ़ी में एक साथ आग लग जाये तो क्या करोगे, अधिकतर उत्तर देते मालिक दोनों हाथ से आपकी आग बुझाएंगे। कुछ कहते दोनों हाथ से अपनी पहले बुझाएंगे।

जिसे उसने चुना – उसका उत्तर था मालिक दाहिने हाथ से आपकी दाढ़ी बुझाऊंगा और बाएं हाथ से अपनी। क्योंकि दाहिना हाथ मजबूत है और दूसरों की बेहतर मदद कर सकता है, बाया हाथ स्वयं के लिए उत्तम है क्योंकि अपने चेहरे का पता उसे है। उसे चुन लिया गया।

फ्लाइट में सफर करो, तो वहां भी यही कहते है स्वयं का मास्क सम्हाल कर दूसरे के मास्क लगाने में मदद करे। बस यही तरीका आपको अपनी जिंदगी में अपनाना है। दुसरो की मदद भी करनी है और अपना नुकसान भी नहीं करना है।

क्या कहेंगे लोग या लोग क्या सोचेंगे इसकी परवाह मत करो।

भविष्य में क्या होगा- भाई बिल्कुल वैसा ही कुछ होगा जैसे पेट का हाल दूसरे दिन होता है, आज अच्छा सुपाच्य स्वास्थ्यकर खाओगे तो कल के दिन का भविष्य रूप में स्वस्थ शरीर और मन मिलेगा। आज चटपटा मसाले दार उल्टा सीधा खाओगे तो कल के भविष्य के रूप में पेट दर्द उल्टी गैस और तबियत खराब होगी, घर दुर्गंध से पेट की गैस बनने से भर जाएगा। तो कल क्या होगा यह आज क्या कर रहे हो उस पर निर्भर है। अतः केवल आज को बेहतर जियो कल स्वतः बेहतर बन जायेगा।

कुछ युगऋषि की लिखी पुस्तक रोज सोने से पूर्व पढ़िये, और भयमुक्त जीवन जियें:-

1- निर्भय रहे शांत रहे
2- शक्तिवान बनिये
3- दृष्टिकोण ठीक रखें
4- सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है
5- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
7- मन के हारे हार है मन के जीते जीत
8- मनः स्थिति बदले तो परिस्थिति बदले
9- निराशा को पास न फटकने दें

अनुलोम विलोम प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम मन को मजबूत बनाता है, गणेश योगा( सुपर ब्रेन योगा) दिमाग़ को मजबूत बनाता है। गुरुवार का व्रत प्राणवान बनाता है। व्रत में एक वक्त फलाहार और एक वक्त भोजन कर लें।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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