प्रश्न – जीवन जीने का सबसे बेहतर बुद्धिमानी युक्त तरीका क्या है? और जीवन जीने का सबसे घटिया और मूर्खता पूर्ण तरीका क्या है?

उत्तर – आत्मीय भाई, बहुत अच्छा प्रश्न है।

जीवन जीने का सबसे बेहतर बुद्धिमानी युक्त तरीका :-

जीवन के प्रति समझ विकसित करना, मनुष्य जीवन की गरिमा समझना, दृष्टिकोण जीवन के प्रति सकारात्मक रखना। हमारे पास जो है उसे सम्हालना और उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद बोलना। उदाहरण – आंखों को धन्यवाद दो दृश्य दिखाने के लिए और ईश्वर को धन्यवाद दो आंखों में रौशनी देने के लिए, आंखे देने के लिए धन्यवाद देने के साथ साथ आंखों की केयर नियमित करना। इसी तरह जो कुछ भी हमारे पास है उसका ज्ञान होना भी जरूरी है, उसे व्यवस्थित रखना भी जरूरी है, जिसने दिया उसे धन्यवाद देना भी जरूरी है।🙏🏻

 हंसबुद्धि रखना अर्थात जैसे हंस की मृत्यु भले हो जाये लेकिन जीवन हेतु मल-मूत्र नहीं खाता। उसी तरह कितनी भी टेंशन या विपरीत परिस्थिति आ जाये लेकिन फिर भी गलत राह न चुने, नशे इत्यादि के कुचक्र में न फंसे।

क्या कहेंगे लोग इसकी परवाह न करते हुए सूर्य की तरह अपना कर्तव्य निभाना।

 एक श्रेष्ठ जीवन लक्ष्य चुनना, उस लक्ष्य प्राप्ति हेतु अपनी योग्यता-पात्रता बढ़ाना और उसे प्राप्त करने के लिए प्लानिंग के साथ प्रयास करना ही बेहतर और बुद्धिमत्तापूर्ण जीवन जीने का तरीका है।

ऐसे लोग आधी ग्लास खाली और आधी ग्लास जल से भरी हो, तो भी यह समझ रखते है कि वास्तव में ग्लास आधी जल से और आधी हवा से भरी है। इस संसार में कही भी कोई ख़ालीपन नहीं है। यह अपनी जिंदगी के लिए केवल स्वयं को जिम्मेदार मानते हैं।  मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है, इस पर दृढ़ विश्वास रखते है। अच्छा नज़रिया रखते ही नज़ारे अच्छे दिखते हैं।

👉🏼जीवन जीने का सबसे घटिया और मूर्खता पूर्ण तरीका :-

जीवन की उपेक्षा करना, क्या नहीं मिला है उसे सोचते रहना- जैसे आधी ग्लास भरी और आधी ग्लास खाली हो, तो केवल खाली ग्लास का इतना रोना रोने में व्यस्त रहे कि आधी ग्लास जल को भी जमीन और गिरा कर प्यासे रह गए।

जीवन लक्ष्य होता नहीं है, जो पाना चाहते है उसके लिए योग्यता है भी या नहीं चेक नहीं करते, योग्य बनने का प्रयास नहीं करते, लकीर के फ़कीर बनकर सबसे सफल होने का शेखचिल्ली सा ख्वाब देखते है, स्वयं को सबसे ज्यादा बुद्धिमान मानते है।

पैसा पैसा करने में अमूल्य स्वास्थ्य की पहले अवहेलना करते है, फिर स्वास्थ्य पाने के लिए पैसा पानी की तरह बहाते है।

ख़ुशी की बात हो तो भी खुलकर हंस नही सकते खुशी नहीं होते। इस वर्ष प्रमोशन मिल भी गया तो अगले वर्ष मिलेगा की नहीं उसकी टेंशन शुरू कर देते है। जो इन्हें मिल गया उसे कभी एन्जॉय ही नहीं करते बस जो नहीं मिला उसका रोना रोते रहते है।

दूसरों के प्लेट के भोजन की ईर्ष्या में स्वयं की प्लेट का भोजन ठीक से नहीं कर पाते, हमेशा अशांत और अतृप्त रहते है।

न यह स्वयं चैन से रहते है और न दूसरों को चैन से बैठने देते है। चील की तरह आकाश में उड़ते हुए भी दृष्टि मृत पशु की लाश और मांस पर ही केंद्रित रहती है।

मन के गुलाम ऐसे लोगो को ईश्वर से सदा शिकायत रहती है, पानी बरसे तो शिकायत और न बरसे तो शिकायत, ठंड में भी शिकायत और गर्मी में भी शिकायत। ऐसे लोग यदि क्रिकेट के मैदान में हों तो मैच हारने के लिए अंपायर, टीम सदस्य, पिच, गेंद, और जनता सबको जिम्मेदार ठहरा देंगे, बस केवल खुद भी जिम्मेदार है यह भूल जाते है।

नशे द्वारा जीवन को भूलना चाहते है। या अन्य उपाय से इंद्रियों की तृप्ति में लगे रहते है।

ऐसे लोग अपनी जिंदगी के लिए दूसरों को जिम्मेदार मानते है। नज़रिया घटिया रखते है इसलिए कभी नज़ारा बढ़िया देख नहीं पाते। यही जीवन जीने का जीवन जीने का सबसे घटिया और मूर्खता पूर्ण तरीका  है।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

जीवन जीने की कला सीखने के लिए पढ़ें युगऋषि लिखित पुस्तक – 📖जीवन जीने की कला और 📖दृष्टिकोण ठीक रखें।

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