प्रश्न – महापुरषों का अनुकरण नही अनुसरण करना चाहिए। Plz explain this

उत्तर – आत्मीय भाई, पहले दोनों शब्दों के शाब्दिक अर्थ समझते है फ़िर इसका दर्शन समझेंगे:-

*अनुकरण* – अर्थात नकल, आकृति का नकल और अभिनय

अनुसरण :- अर्थात उनके मार्गदर्शन, ज्ञान और आदेश के अनुसार निज चरित्र चिंतन व्यवहार बनाना और जीवन जीना। प्रकृति महापुरुषों की समझना और उनके जैसा जीवन जीना।

अनुकरण एक तरह से नक़लची बंदर की तरह कृत्य है, महापुरुष के शारीरिक हाव् भाव और मेकअप की नकल करना। महापुरुष गांधी जी का अनुकरण करते हुए एक धोती के दो टुकड़े करके पहनना, चरखा चलाना, बिना बालों के रहना, गोल चश्मे पहनना। अर्थात बाह्य आकृति और रहन सहन की हूबहू नकल करना *अनुकरण* कहलाता है।

गांधी जी की प्रकृति – देशभक्ति, दुःखी पीड़ितो की सेवा करना, सत्य बोलना और तपस्वी जीवन जीना, सत्य-अहिंसा का पालन करना ही उनका *अनुसरण* करना हुआ।

इसलिए कहा जाता है कि महापुरुषों का *अनुसरण* करना चाहिए।

महापुरुषों का *अनुकरण* करके खाना पूर्ति नहीं करना चाहिए, अभिनय नहीं करना चाहिए।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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