प्रश्न – दी, धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों में अत्यधिक मैकअप, डार्क लिपस्टिक और भड़काऊ वस्त्र पहन के आना क्या उचित है? कृपया अपने विचार दीजिये.

उत्तर – आत्मीय बहन, स्कूल में हम विभिन्न कलर और विभिन्न वस्त्र की जगह एक यूनिफॉर्म रखते हैं, यही पुलिस सेना और अस्पताल में भी होता है। यही नियम धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठान का भी होता है। वहां पर भी ड्रेस कोड और आचार संहिता लागू होनी चाहिए। कॉरपोरेट में भी ड्रेसकोड फॉर्मल और लाइट कलर का होता है।

केवल पार्टी, फैमिली शादी-व्याह रिसेप्शन, प्रदर्शनी, मेला और मॉल इत्यादि जगहों पर जो कि लक्ष्यविहीन होता है, वहां मल्टीकलर और मैकअप स्वीकृत होता है।

क्योंकि यदि किसी लक्ष्य और महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए आप एकत्र हो रहे हों, यदि वहां सभी मल्टीकलर बनकर आएंगे तो वहां उस लक्ष्य से ध्यान बंट जाता है। एकाग्रता और लक्ष्यपूर्ति हेतु सादगी और ड्रेसकोड आचार्य संहिता अनिवार्य है।

यज्ञादि अनुष्ठान, मन्दिर दर्शन, प्रवचन और सत्संग, साहित्य प्रदर्शनी, आंदोलनों में एक ही ड्रेसकोड और सादगी के साथ सबका एकजुट होना अनिवार्य है, क्योंकि यहां लक्ष्य निश्चित है और ग्रहणशील और कर्तव्य परायण बनकर जुटना है। यदि कोई रूल तोड़े और भड़काऊ मेकअप करके आये तो  उसे ऐसे लक्ष्य युक्त समारोह में शामिल न करें।

जब भी प्रोग्राम का मैसेज बनाएं ड्रेसकोड और सादगी मेंशन अवश्य कर दें।

वैसे भी सुअर, भैंसे और गैंडे के मांस से ही लिपस्टिक का ग्लॉसी लिक्विड बनता है। कॉस्मेटिक्स कंपनी अपने प्रोडक्ट में एनिमल फैट का प्रयोग कर रही है या नहीं इसके लिए ग्राहक को कोई जानकारी नहीं देती। मेनका गांधी ने इस पर आवाज़ भी उठाई थी, जिसका विरोध कॉस्मेटिक कम्पनियां कर रही है। तो यदि कोई स्त्री वेजिटेरियन है और लिपस्टिक लगाकर भोजन या जल ग्रहण कर रही है तो वो नॉनवेज सीधे सीधे लिपस्टिक के माध्यम से ले रही है।

निम्नलिखित लिंक पर विस्तृत जानकारी लीजिये
https://m.patrika.com/lucknow-news/is-your-cosmetic-product-vegiterian-menka-gandhi-want-to-know-8082/

https://www.google.co.in/amp/wahgazab.com/now-test-will-be-conducted-on-your-lipstick-to-ascertain-whether-it-is-veg-or-non-veg/amp/

अतः लिपस्टिक की शौकीन महिलाओं को सावधान होने की आवश्यकता है।

काजल भी घर का देशी घी से बना उपयोग करें, अन्यथा बाज़ार वाले तो सस्ता मांस को गर्म करके निकाले प्रोसेस्ड एनिमल फैट को उपयोग में लेते है जो अत्यंत हानिकारक है।

जो जितना मैच्योर, बुद्धिमान, शांत और स्थिर होता है वो उतने ही शांत और सादगी के साथ हल्के कलर के वस्त्र पहनता है, जो जितना भीतर से चाइल्डिश, कम बुद्धिमान, अशांत और अस्थिर होगा वो उतने ही चटकीले और भड़कदार वस्त्र और मेकअप को पसन्द करता है।  जो जितना अर्धनग्न और खुले वस्त्र पहनता है वो भीतर से उतना ही कूप मण्डूक होता है।

जो बहुत मैचिंग मैचिंग करके एक जैसे कलर का श्रृंगार करते है, उनका मन वास्तव में कहीं मैच नहीं कर रहा होता, इनका अन्तःकरण अस्तव्यस्त होता है।

बल्ब की सुंदरता रौशनी से होती है, उस बल्ब के श्रृंगार से नहीं। इसी तरह स्त्री और पुरुषों की असली सुंदरता उनके मन का उल्लास, उत्साह, उमंग और कुछ कर गुजरने की चाहत और श्रेष्ठ व्यक्तित्व से होती है। पार्लर या घर मे किया रंग बिरंगा मैकअप केवल एक झूठा मुखौटा देता है, यदि इस मुखौटे को कोई सुंदर कह भी दे तो वो आपको सुंदर नहीं बोल रहा बल्कि वो उस मुखौटे को सुंदर बोल रहा है।

महान ज्योतिषाचार्य और मनोवैज्ञानिक कहते है कि व्यक्ति का वस्त्र और मैकअप उसके आंतरिक स्थिरता और अस्थिरता को बयान करती है।

अतः बहन स्थान, परिस्थिति और कार्य की समझ रखते हुए मेकअप और वस्त्र आभूषण पहन कर जाना चाहिए।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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