विचार मंथन – सँस्कार से प्रकृति बदलती है आकृति नहीं, इसलिए परिवर्तन आसानी से समझ नहीं आता, लेकिन व्यक्तित्व दिये हुए सँस्कार ही गढता है ।

कुएं के शुद्ध मीठे पानी, समुद्र के खारे पानी, जहरीले केमिकल भरे पानी में उपजी सब्जियां, फल, नारियल और पल रही मछलियां मूल बीज गुणों के अनुरूप ही बाह्य आकृति लेंगी। लेकिन प्रकृति बदल जाएगी, स्वाद बदल जायेगा, गुण बदल जायेगा। जहां कुएं का पानी गुणवत्ता और स्वाद बढ़ा देगा, वहीं समुद्र का खारापन सब के भीतर प्रवेश करेगा, प्रदूषित जल का जहर सब्जियों में प्रवेश करेगा।

एक ही माँ के जुड़वा बच्चे या एक ही तोते के जुड़वा बच्चे यदि एक को गुरुकुल और दूसरे को दस्यु सँस्कार के बीच पाला जाय तो आकृति दोनों की एक होगी भीतर की प्रकृति बदल जाएगी। एक प्रकृति से सन्त बन जायेगा और दूसरा डाकू बन जायेगा।

युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव कहते है, बच्चो को अच्छे सँस्कार देकर पालो जिससे वो देवमानव बन जाएं। अन्यथा एक्सिडेंटल बिना तैयारी के पले तो देवता भी बन सकते है और राक्षस भी।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *