स्वच्छता जागरूकता रैली -दिनांक 29 सितम्बर 2018, समय 3 से 6 बजे, कनॉट प्लेस दिल्ली

अखिलविश्व गायत्री परिवार आप सभी आत्मीय जनों का आह्वाहन कर रहा है, इस स्वच्छता जागरूकता अभियान में देशहित भागीदारी जरूर करें।

जब जिस घर में हम रहते हैं वो घर हमें स्वच्छ और सुंदर चाहिए, तो जिस देश में हम रहते हैं वो देश स्वच्छ और सुंदर क्यों नहीं रखते?

आइये भारत में गन्दगी क्यों और कैसे फैली हुई है इसका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं:-

1- जब तक भारत को मातृ भूमि औऱ जन्मभूमि का सम्मान देते हुए व्यक्ति के अंदर राष्ट्र भक्ति और राष्ट्रचरित्र समाया था। देश हमारा साफ़-स्वच्छ-सुंदर और आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न सोने की चिड़िया भारत कहलाया था। राष्ट्र भक्त देश को अपना घर और देशवासियों को परिवार मानते थे। व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर राष्ट्रहित और समाजहित होता था। इसलिए घर की गंदगी समाज मे नहीं फैलती थी।

2- वर्तमान युग मे व्यक्तिगत हित को सर्वोपरि माना जा रहा है, इसलिए समाजहित उपेक्षित हो रहा है। अतः घर का कचरा रोड पर बिखरा पड़ा है। पार्क और सार्वजनिक जगहों पर लोग कचरा इसलिए फैलाते है क्योंकि उस जगह को अपना और अपने देश का हिस्सा मानते हुए उससे जुड़ाव महसूस नहीं करते।

3- पहले भोजन स्टोर की व्यस्था नहीं थी, तो लोग ताज़ा बनाते थे, जितना खाना होता था केवल उतना बनाते थे और ताज़ा खाते थे। निरोग रहते थे, कूड़ा कम करते थे। प्लास्टिक और फ्रिज़ ने स्टोरिग पॉवर बढ़ा दिया। अब हर घर मे अधिक स्टोर होता है और प्रत्येक गृहणी सप्ताह में दो बार कम से कम कुछ न कुछ फ्रिज़ से निकालकर बाहर फेंकती ही है। पैकेट बन्द भोजन खुलता है, पूरा खाया जाता नहीं फिर आधा फिंकता है। कूड़े के ढेर को बढ़ाता है। प्लास्टिक जमीन को बंजर बना रहा है।

4- लोग आजकल हब्सि हो गए है इसलिए भूख से अधिक थाली में भोजन लेते हैं। बाद में उसे फेंकते हैं। क्योंकि अब कोई अन्न को भगवान का प्रसाद नहीं समझता।

5- केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मन में यह भाव उतपन्न होगा कि अन्न पैसे से नहीं ख़रीदा गया है केवल, इसे धरती माँ ने छाती चीर कर उपजाया है, किसान ने महीनों मेहनत की है, कई व्यापारियों का भी समय साधन लगा है, देश की अर्थ व्यवस्था का आधार यह अन्न बड़ी मुश्किल से प्लेट तक पहुंचा है, अतः अन्न हमें बर्बाद नहीं करना चाहिए। इतना न लो थाली में कि व्यर्थ जाए नाली में…

6- यदि कोई अनुष्ठान किसी समस्या का कारण बने तो पुण्य मिलेगा ही नहीं। शादी विवाह हो या शुभ कार्य प्लास्टिक की प्लेट, ग्लास और थर्मोकोल इनके बिना भी पहले शादियां होती थी और अब भी हो सकती हैं। लेकिन एक अनुष्ठान में इतना सारा प्लास्टिक का कूड़ा धरती को बंजर बनाने वाला उतपन्न करने पर धरती का श्राप तो मिलना स्वभाविक है।

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धरती को साफ स्वच्छ सुंदर रखने के लिए प्लास्टिक का प्रयोग बन्द करें, ताज़ा भोजन पकाकर खाएं, अन्न व्यर्थ न करे, प्लास्टिक रिसाइकल हो ऐसी व्यवस्था करें इत्यादि प्रयास तो करें ही। लेकिन सबसे पहले देश को अपना घर और धरती को अपनी माँ माने और स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर और सभ्य समाज के साथ स्वच्छता अभियान घर घर गली मोहल्ले चलाये। मन का स्वभाविक स्वभाब ही स्वच्छता बनाएं।

दिनांक 29 सितम्बर 2018 को सायं 4 से 6 बजे सेंट्रल पार्क कनाट प्लेस दिल्ली मे एक स्वच्छता रैली/ plogging activity और संकल्प गोष्ठी का आयोजन नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के संयोग से किया जा रहा है।सभी लोग 3 बजे हनुमान मंदिर बाबा खड़ग सिंह मार्ग कनाट प्लेस में एकत्रित होंगे। वहां से groups में संघबद्ध तरीके से गुरुद्वारा बंगला साहब के सामने से गोल चक्कर क्रॉस करते हुए पुनः बाबा खड़ग सिंह मार्ग में आ जाना होगा। वहां से चरखा पॉइंट आ कर सेंट्रल पार्क में प्रवेश करेंगे। वहां स्वच्छता ही सेवा विषय पर एक दो नुक्कड़ नाटक ,एक दो जन जागरण गीत के बाद सचिव NDMC सभी को स्वच्छता संकल्प दिलाएंगी। इसके पश्चात 6 बजे विसर्जन।

युगऋषि कहते हैं कि परिवर्तन यदि चाहिए तो स्वयं परिवर्तन का हिस्सा बनिए। हम इस महाअभियान में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने जा रहे हैं और आपसे आने का अनुरोध करते हैं।

कृपया यदि  सम्भव हो तो कुछ साहित्य बांटने के लिए साथ जरूर लाएं।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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