ब्रह्मांड की शासक सत्ता-मेरी गुरुसत्ता है

कभी कभी खुद की किस्मत पर,
बहुत नाज़ होता है,
तुझ संग जुड़ने का,
जब अहसास होता है।

कभी कभी….

साक्षात महाकाल को,
मैंने गुरुरूप में पाया है,
जगतजननी का प्यार,
गुरुमां रूप में पाया है।

कभी कभी….

कभी अकेलापन और भय नहीं लगता है,
हर क्षण तेरे संग रहने का अहसास रहता है,
कण कण में समाई जो परम सत्ता है,
वही महाकाल मेरी गुरुसत्ता है।

कभी कभी….

ब्रह्माण्ड की शासक सत्ता,
हमारी गुरुसत्ता है,
इस बात का आभास,
बड़ा अच्छा लगता है।

कभी कभी खुद की किस्मत पर,
बहुत नाज़ होता है,
तुझ संग जुड़ने का,
जब अहसास होता है।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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