प्रश्न – भगवान तो कण कण में है, फिर एक नियत स्थान पूजनगृह घर मे बनाकर पूजन की क्या आवश्यकता है?

उत्तर – आत्मीय भाई, भोजन तो घर में कहीं भी बनाया जा सकता, कहीं भी खाया जा सकता है, इसी तरह शयन भी घर मे कहीं भी किया जा सकता है, पढ़ाई भी कही भी की जा सकती है। लेकिन आपने नोटिस किया होगा कि निश्चित स्थान पर भोजन बनाने और भोजन करने से व्यवस्था घर की सही बनती है। निश्चित स्थान और बिस्तर पर लेटने पर नींद अच्छी आती है। क्योंकि मन उसी तरह के विचार प्रवाह के साथ कंडिशन्ड हो जाता है। बिस्तर और स्थान परिवर्तन से मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ने के कारण नींद में समस्या उतपन्न होती है। स्टडी रूम में निश्चित स्थान पढ़ने में सहायक होता है।

इसी तरह जब तक योगी की तरह मन में ध्यानस्थ होकर स्थिर होने की कुशलता न विकसित हो जाये, तब तक घर में नियत स्थान पर शांतिपूर्वक बैठकर एक स्थान और एक पूजा गृह में पूजन सहायक होता है। मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, मन अतिरिक्त मेहनत से बच जाता है। उस स्थान का ऊर्जा प्रवाह सकारात्मक रहता है और ध्यान पूजन में सहायक होता है।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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