प्रश्न – मेरे पिता सफ़ल बिजनेस मैन, अच्छे पति, अच्छे पिता और अच्छे इंसान है। उनके दोस्तों की संगति में खैनी(सुर्ती) खाना शुरू कर दिए हैं। वो इस नशे से मुक्ति चाहते हैं पर सफल नहीं हो रहे। साथ मेरे घर मे सब साधक है, मैं 26 वर्ष का हूँ मैं कभी कभी यह सोचता हूँ जब मैं अपने पिता को इस छोटे से नशे से व्यसनमुक्त न कर सका तो भला समाज मे कैसे व्यसनमुक्ति आंदोलन चलाऊंगा? स्वयं को बेबस लाचार महसूस कर रहा हूँ…मार्गदर्शन करें..

उत्तर – आत्मीय भाई, आप जैसे युवा हमारे देश के लिए गौरव हैं। आपके परिवार में साधनामय वातावरण धरती के स्वर्ग का प्रतीक है।

कोई भी जीवन मे सफ़लता बिना संघर्ष के नहीं मिलता। कुछ तप करना पड़ता है। उच्चमनोबल और दृढ़निश्चयी के लिए कुछ भी असम्भव नहीं।

आपको भावनात्मक संघर्ष हेतु कुछ शारीरिक कष्ट झेलने पड़ेंगे, आपकी माताजी को भी इसमें सहयोग करना पड़ेगा। यदि आप तैयार हैं तो निम्नलिखित उपाय अपनाएं:-

1- पिता जी साधक है लेकिन जो साधना वो कर रहे हैं उससे प्राप्त ऊर्जा की खपत बिज़नेस के सफल संचालन में खर्च हो जाती है। व्यसन को छोड़ने के लिए जो अतिरिक्त सङ्कल्प युक्त मनोबल चाहिये और प्राण ऊर्जा चाहिए उसके लिए उन्हें अतिरिक्त साधना करनी पड़ेगी।

2- पिताजी पूजा तो करते हैं लेकिन अभी उनका ध्यान एकाग्र नहीं है। कहने का मतलब शरीर नित्य पूजन स्थल पर होता है लेकिन मन को वो ज्यादा देर तक पूजन स्थल पर नहीं रख पाते।

3- तो पिताजी के लिए अतिरिक्त मनोबल सप्पलाई करने के लिए आपको और आपकी माताजी को कुछ निम्नलिखित आध्यात्मिक उपाय करने हैं।

जब भी कोई भी घर में उन्हें भोजन या पानी दें, मंन्त्र पढ़कर अभिमंत्रित करके देवे। पिताजी को भी बोले मंन्त्र जप कर ही कुछ भी खाए या पिये। खैनी खाने से पहले तीन बार गायत्री मंत्र जपें ।

आप और आपकी माताजी रोज पूजन के वक्त ध्यान में पिताजी को शान्तिकुंज हरिद्वार ले जाएं और गुरुदेब माताजी से उन्हें व्यसनमुक्त करने की प्रार्थना करें। ध्यान में उन्हें नशा छोड़ने हेतु प्रेरित करें।

रोज बलिवैश्व यज्ञ करें।

रोज सूर्य के अर्घ्य दें और थोड़े से बचे जल से आटा गूंधकर रोटियां खिलाएं।

नशामुक्ति की पुस्तकों का घर मे सामूहिक स्वाध्याय करें।

4- संघर्षात्मक उपाय – पिताजी को बोलिये जबतक आप नशा नहीं छोड़ेंगे तब तक मैं केवल एक वक्त भोजन करूंगा। अपने शरीर को कष्ट दूंगा और आपके लिए तप करूंगा। यदि आप एक माह बाद भी नशा नहीं छोड़े तो मैं दोनों वक्त खाना छोड़ दूंगा।

 *देखो इससे तुम्हारे पिता पर भावनात्मक दबाव पड़ेगा, और नशा छोड़ने में जुट जाएंगे।*

अब पिताजी को बोलें कि आप मेरे पिता है, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और आपके जीवन में नशे जैसे ज़हर को नित्य प्रवेश करता हुआ मैं सहन नहीं कर सकता। अतः इस हेतु मैं स्वयं को ही ही दंडित करूंगा और तब तक करता रहूंगा जबतक आप नशे से मुक्त नहीं हो जाते।

*घर मे अनशन, असहयोग आंदोलन बड़ा कारगर उपाय है। 100% काम करता है। कोई भी पिता पुत्र को भूखा नहीं देख सकता, उसके अंदर अतिरिक्त मनोबल जगता है।*

सुबह एक वक्त फल और जूस, और एक वक्त भोजन से महीनों बड़े आराम से रहा जा सकता है। हम सब 2400 से ज्यादा साधक इस वर्ष गुरुपूर्णिमा से श्रावणी पूर्णिमा तक व्रत हैं। देखो कुछ पाने के लिए कुछ तो डिफरेंट उपाय करना पड़ेगा। व्रत का पुण्यफ़ल नित्य पिता को व्यसनमुक्त होने हेतु जल लेकर दान करते चले।

व्रत के साथ जप में नित्य 3 माला गायत्री की और एक माला निम्नलिखित शिव मंन्त्र की जपें:-

*ॐ जूं स: माम् पिता पालय पालय स: जूँ ॐ*

आपकी माता जी भी 3 माला गायत्री मंत्र की एक्स्ट्रा अपने पति के लिए जपेंगी और साथ ही निम्नलखित मंन्त्र में पिता की जगह *पति* बोलकर यह मंन्त्र पढेंगी।

*ॐ जूं स: माम् पति पालय पालय स: जूँ ॐ*

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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