प्रश्न – कालसर्प योग क्या है? इससे मुक्ति के उपाय बताएं?

उत्तर – आत्मीय बहन, कालसर्प योग से गायत्री साधको को डरने की आवश्यकता नहीं है। जिनके घर नित्य गायत्री उपासना, सप्ताह या महीने में एक बार यज्ञ और नित्य बलिवैश्व यज्ञ होता है। उनकी कुंडली में बैठा कालसर्प योग निष्क्रिय हो जाता है।

काल सर्प योग महज कुछ ग्रहों का योग है, जो कुडली में बनता है। नवग्रहों में राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं। ज्‍योतिष की दृष्टि से इनके प्रभाव काफी कम होते हैं। राहु के जन्‍म के नक्षत्र के देवता यम यानी काल हैं और केतु के जन्‍म नक्षत्र आश्‍लेषा के देवता सर्प हैं। राहु के गुण और अवगुण शनि की तरह ही होते हैं। यही कारण है कि यह शनि ग्रह के जैसे ही प्रभाव डालता है।

इन्‍हीं दोनों ग्रहों के स्‍थान काल सर्प योग बनाते हैं, जिस कारण संतान अवरोध, घर में रोज-रोज कलह, शारीरिक विकलांगता, मानसिक दुर्बलता, नौकरी में परेशानी आदि बनी रहती है। जाने अंजाने में इस दौरान अशुभ कामों के चलते इनके फल काफी कष्‍ट दायक हो जाते हैं। राहु के देवता काल (मृत्‍यु) हैं, इसलिये राहु की शांति के लिये कालसर्प शांति आवश्‍यक है। असल में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में विचरण करते हैं, तब उस योग को काल सर्प योग कहा जाता है। व्‍यक्ति के भाग्‍य का निर्माण करने में राहु और केतु का महत्‍वपूर्ण योगदान रहता है।

कालसर्प योग के निदान हेतु तपसाधना और पुण्यकर्म करने होते हैं, निम्नलिखित में से कोई भी उपाय अपनाएं और कालसर्प योग से मुक्ति पाएं:-

1- 40 रुद्राभिषेक और साथ ही रुद्र अष्टध्यायी का पाठ करें।

2- सवा लाख गायत्री मंत्र जप का अनुष्ठान करें। पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

3- सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप का अनुष्ठान करें। पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

4- गुरुगीता का पाठ 40 दिन तक करें, पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

5- 40 दिन तक सुंदरकांड का पाठ करें, पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

6- 40 दिन तक रोज़ 5 गायत्री चालीसा पढें, पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

7- 40 दिन तक रोज़ 5 हनुमान चालीसा पढ़े, पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

8- 40 दिन तक रोज़ शिवतांडव स्त्रोत का पाठ करें, पूर्णाहुति के दिन रुद्राभिषेक और यज्ञ करें।

9- 40 दिन तक रोज रुद्राभिषेक और रोज महामृत्युंजय मंत्र से यज्ञ करें।

उपरोक्त में से जो सुगम लगे अपना लें, कालसर्प योग से मुक्ति पा लीजिये। यदि किसी सपेरे के बंधन से सर्प मुक्त करवा के उसे जंगल मे छोडवा दें। तो भी सर्प का आशीर्वाद मिलता है।

काल सर्प योग महज़ कुछ विपरीत परिस्थिति उतपन्न करता है, उपरोक्त विधि से उस व्यक्ति का आत्मबल-ब्रह्मबल-प्राणबल जगता है। जिससे विपरीत परिस्थितियों का सामना कर उसका समाधान करने में वह महारत हासिल करता है।

अतः यदि कोई पण्डित यह दावा करता है कि अमुक उपाय से विपरीत परिस्थिति उतपन्न होगी ही नहीं तो वो सरासर झूठ बोल रहा है।

भगवान कृष्ण साथ हों तो भी प्रारब्ध का महाभारत होगा ही नहीं ऐसा कोई उपाय नहीं है। भगवान कृष्ण साथ होंगे तो महाभारत जीतोगे यह निश्चित है।*

अध्यात्म आपको विपरित परिस्थितियों में कुशलता पूर्वक निकलने का और समस्याओं का समाधान देता है। *अध्यात्म अपनाने से जीवन मे समस्या उतपन्न होगी ही नहीं ऐसा कोई दावा नहीं करता। हाँ, अध्यात्म दावा करता है कि अध्यात्म के जीवन मे होने से हर समस्या का समाधान मिलेगा और जीत मिलेगी।*

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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