कविता – जीने का आनंद लेना ही अध्यात्म है।

*जीवन जीने की कला,*
*इसी का नाम है,*
*कठिन परिस्थितियों में भी,*
*मुस्कुराना हमारा काम है,*
*जीवन की कठिनाइयों में भी*,
*जीने का आनंद लेना ही अध्यात्म है।*

आजकल बड़े,
उलझे उलझे से हालात हैं,
कहीं जॉब तो कहीं व्यवसाय में,
सर्वत्र बिगड़े हालात हैं।
कहीं स्वास्थ्य तो कहीं रिश्तों में,
बिगड़े बिगड़े हालात हैं।

कुछ भी स्थिर नहीं यहां,
न जॉब और न ही व्यवसाय,
न रिश्ता और न ही स्वास्थ्य,
कुछ दिन नोटों की बरसात,
तो कुछ दिन निरन्तर घटती आय,
कुछ दिन बढ़ता सौंदर्य-स्वास्थ्य,
तो कुछ दिन घटता सौंदर्य-स्वास्थ्य,
कभी नए बनते रिश्ते,
तो कभी बिगड़ते पुराने रिश्ते।

वही टिकेगा यहां,
जो निरन्तर अपडेटेड रहेगा,
बदलती सामाजिक डिमांड के प्रति,
दूरदर्शी दृष्टिकोण रखेगा,
बदलते मौसम के अनुसार,
स्वास्थ्य ठीक रखेगा,
मनुष्य के बदलते स्वभाव पर,
पैनी नज़र रखेगा।

सुखमय जीवन के लिए,
नित्य निम्न प्रयास करो,
आध्यात्मिकता से,
मन को बूस्ट करो,
नित्य ध्यान स्वाध्याय से,
मन को चुस्त दरुस्त रखो,
नई नई टेक्नोलॉजी से,
जॉब और व्यवसाय को अपडेटेड रखो,

घर और जॉब-व्यवसाय में,
समुचित सन्तुलन रखो,
और आय से आधा,
जीवन मे ख़र्च करो,
जॉब-व्यवसाय में सबसे ज़्यादा,
स्वयं काम करो,

भूख से आधा,
भोजन करो,
आराम से ज़्यादा,
व्यायाम करो।

रिश्तों में लेने से ज़्यादा,
देने में विश्वास रखो,
किसी से कोई कभी,
अपेक्षा मत रखो,

क्या कहेंगे लोग,
इस की परवाह मत करो,
इस जहान में,
निर्भय-साहसी बनकर जियो।

व्यर्थ के क्रोध से,
क्या कोई काम बनेगा?
क्या कोई लाभ मिलेगा?
क्या कोई रिश्ता सुधरेगा?
जूनियर,पत्नी, बच्चो पर गुस्सा करके,
क्या जॉब और व्यवसाय सुधरेगा?
क्या स्वास्थ्य और सौंदर्य बढ़ेगा?
ठंडे मन से स्थिर चित्त से प्रयास करने पर ही,
हर समस्या का समाधान मिलेगा।

जब तक जियोगे,
विपरीत परिस्थिति से रूबरू होते रहोगे,
जब तक सफर करोगे,
तब तक सफर की कठिनाई को झेलोगे,
कुशल ड्राइवर की तरह,
जीवनमार्ग की कठिनाई से मत डरो,
एक विजेता की तरह,
विपरीत परिस्थितियों का सामना करो,
कुशल नाविक की तरह,
ऊंची नीची लहरों पर जीवन नौका  चलाओ,
मनपसंद गीत गुनगुनाते जाओ,
जीवन के हर पल का आनन्द लेते जाओ।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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