प्रश्न – जब पूरे प्रयास पर भी इच्छित सफ़लता न मिले, सुअवसर हाथ से निकल जाए तो कैसे स्वयं को सम्हालें?

उत्तर – कुछ सत्य घटना से इस प्रश्न का समाधान समझते हैं:-

टायटेनिक जहाज में सफर हेतु एक परिवार ने लाखों रुपये का टिकट खरीदा, लेकिन यात्रा के दो दिन पहले कुत्ते ने बच्चे को काट लिया और वो जा न सके। पूरा परिवार कुत्ते पर क्रोधित हुआ।😡😡😡😡

लेकिन जब जहाज डूब गया, तो वही परिवार कुत्ते की पूजा किया।😂😂😂

कभी कभी तुरन्त देखने पर किसी के टोकने या मना करने पर बुरा लगता है, लेकिन क्या पता वो भविष्य के लिए अच्छा हो?

कभी कभी कुछ झगड़े रगड़े तुरन्त के लिए बुरे लगते है लेकिन क्या पता भविष्य के लिए वो लाभदायी हो।

कभी कभी व्यवसाय नौकरी और पढ़ाई में हुआ नुकसान बुरा लगता है लेकिन क्या पता भविष्य के लिए अच्छा हो।

एडिसन को स्कूल से न निकाला गया होता तो हो सकता है वो मामूली जॉब करके गुज़ारा करते और बल्ब का अविष्कार कभी न होता।

अतः जब कुछ चीज़ों पर हमारा बस न चले तो उसे भगवान पर छोड़ दो और ध्यानस्थ हो भगवान से कनेक्ट हो। और आगे बढ़े, विपरीत परिस्थिति को कुशलता से हैंडल करें। जो कर सकते है वो करें बाकी का बोझ आत्मा पर न लें। यदि हम परम् गुरुदेब के सच्चे भक्त है और हमने ईमानदारी से उनकी सेवा की है तो हमारे साथ कभी कुछ बुरा हो ही नहीं सकता। अभी जो बुरा और विपरीत दिख रहा है वो शायद हो सकता है भविष्य के सुनहरे भवन की नींव हो जो खोदी जा रही हो।

अतः ईश्वर पर भरोसा रखिये, हम सबका गुरु की कृपा से काम हो रहा है, करते हैं सब गुरुजी और हम लोगों का नाम हो रहा है।

समर्पित शिष्य के सर पर हमेशा परमपूज्य गुरुदेब का आशीर्वाद और माताजी के आँचल की छाया होती है, हमे बस पूर्ण समर्पण पर ध्यान देना है, परेशानी पर नहीं।

ये मत कहो गुरुदेब से कि मुश्किलें बड़ी है,
मुश्किलों से कह दो मेरा गुरु बड़ा है, वो साक्षात महाकाल है। मैं उनका साधक शिष्य हूँ मुश्किलों मैं गुरु कृपा से आज नहीं तो कल तुमसे निपट लूँगा। कभी हार नहीं मानूँगा और मुश्किलों तुम पर तो विजय प्राप्त करके रहूंगा।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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