सम्हलो, ये वक़्त गुज़र जाएगा

वक्त अच्छा हो या बुरा,
दोनों वक़्त गुज़र जायेगा,
कोई गोरा हो या काला,
इक मुट्ठी भर राख बन जायेगा।

कोई धनवान हो या कंगाल,
दोनों ख़ाली हाथ ही जायेगा,
इस दुनियाँ का कमाया धन,
इस दुनियां में ही रह जायेगा।

पूर्णिमा हो या अमावस्या,
दोनों रात ढल जायेगी,
सूरज के उगने पर,
सुनहरी धूप घर आएगी।

आने जाने का क्रम,
यूँ ही चलता रहेगा,
केवल अच्छे-बुरे कर्मो का वजूद,
युगों तक बना रहेगा।

समय बड़ा बलवान है,
इससे दोस्ती कर लो,
एक एक पल का सदुपयोग कर,
एक नया इतिहास रच दो।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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