प्रश्न – दी, मुझे लगता है जो मैं जॉब कर रहा हूँ उसमें पूर्णतया दक्ष नहीं हूँ। मुझे अपने ऑफिस में दूसरों से सहायता लेनी पड़ती है। इस कारण मेरा मन काम से उचट जाता है और मैं अपसेट हो जाता हूँ। मार्गदर्शन करें कि क्या मुझे जॉब छोड़ देनी चाहिए या नहीं। यदि करनी चाहिए तो मैं परफ़ेक्ट कैसे बनूँ, और अपना आत्मविश्वास कैसे वापस पाऊँ? मार्गदर्शन करें…
उत्तर – प्यारे आत्मीय भाई, यदि तुम योग्य न होते तो कम्पनी तुम्हें कभी जॉब पर नहीं रखती। पिछले कई वर्षों से तुम्हारी जॉब सलामत हैओ इसका अर्थ तुम योग्य भी हो और तुम पर गुरु कृपा भी है।
इस संसार मे कोई भी परफ़ेक्ट नहीं है, किसी को कुछ आता है और किसी को कुछ। तो सहायता ऑफिस में लेना कोई बुरी बात नहीं। इस कारण आत्मग्लानि का कोई कारण नहीं। सुई और तलवार दोनों का अपना अपना महत्त्व है। मदद करो भी और मदद बिंदास लो भी।
*काम मे दक्षता और मैच्योरिटी प्राप्त करने के उपाय*:-
1- जो कर रहे हो अभी जॉब उसकी पुनः नए सिरे से तैयारी करो।
2- टेक्नोलॉजी हो या बीमारी हो या केस हो या फ़सल उगाना हो या आतंकी संगठन को रोकना हो सर्वत्र कठिनाई बढ़ रही है क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है। मोबाइल का ही उदाहरण देख लें आज से 5 वर्ष पूर्व मोबाइल जिन फीचर के साथ आता था और आज के दिन लेटेस्ट मोबाइल जिन फीचर के साथ आ रहे हैं उनमें हेल एंड हेवन का डिफरेंस है।
3- इसी तरह तुमने जब पढ़ाई की थी और अब जो बच्चे पढ़कर आ रहे है, उनके ज्ञान और स्पीड में भी अंतर है।
4- तो क्या करें…इन फास्ट ग्रोइंग और हाइली एजुकेटेड बन्दों के बीच अपना स्वाभिमान बचाते हुए जॉब कैसे करें? बड़ा आसान तरीका है, अहंकार त्याग के इनसे दोस्ती कर लें। इनसे सीखें और इनसे बड़े प्यार से मदद लें, इनकी बीच बीच मे प्रसंशा करते चलें। इसमे आत्मसम्मान गिराने वाली कोई बात ही नहीं है।
5- अपनी जीत का जश्न मनाना अच्छी बात है, लेकिन किसी की हार का मज़ाक बनाना बुरी बात है। और उससे भी ज्यादा बुरा स्वयं की हार की आत्मग्लानि मनाना है।
6- सबसे पहले दो चीज़ों को अलग कीजिये, पहला आप एक अलग वजूद हैं और इंजीयर, डॉक्टर, वकील, सैनिक, टीचर, वेब डिज़ाइनर, तपस्वी या गृहणी एक मुखौटा है। जो आप धारण करके नित्य जीवन मे अभिनय और कर्म करते हैं। आप जॉब से पहले भी थे और रिटायरमेंट के बाद भी रहेंगे। जन्म से पहले भी थे और मृत्यु के बाद भी रहेंगे। क्यूंकि आप अजर अमर परमात्मा के अंश और आत्मस्वरूप है।
7- मुखौटे में गड़बड़ी आपमें गड़बड़ी नहीं ला सकती। आपके वजूद को नहीं हिला सकती। अतः आत्मग्लानि और जॉब से पलायनवाद की आवश्यकता नहीं है।
8- सुबह आधे घण्टे माइंडफुलनेस ध्यान/विपश्यना ध्यान या चन्द्रमा का ध्यान करें। श्रद्धेय डॉक्टर साहब के ध्यान के वीडियो आपको यूट्यूब पर मिल जायेंगे। योग, प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम और डीप ब्रीदिंग के द्वारा पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीज़न दिमाग तक पहुंचाए जिससे दिमाग मे यौवन-फुर्ती लौट आये।
9- रोज आत्मविश्वास जागृत करने वाले गुरुदेब के निम्नलिखित साहित्य पढें:-
📖मानसिक संतुलन
📖दृष्टिकोण ठीक रखे
📖निराशा को पास न फटकने दें
📖व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
📖प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
📖संकल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया
📖प्रगति की प्रशन्नता की जड़े अपने ही भीतर
📖आगे बढ़ने की तैयारी
📖बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि
📖अधिकतम अंक कैसे पाएं
📖मन की प्रचण्ड शक्ति और मनोविज्ञान
📖मनोबल अनेकानेक सफलताओं की कुंजी
📖अति भावुकता से सावधान
इन पुस्तकों का नित्य थोड़ा थोड़ा स्वाध्याय और योग-प्राणायाम-ध्यान आपके मष्तिष्क को मैच्योरिटी देगा। बालकबुद्धि जैसे तुनकपन और नाराज़गी मिट जाएगी। फ़िर कहावत अनुसार – *आप दुधारू गाय के पैर मारने पर भी दूध निकालने में सक्षम हो जाएंगे*। दूध देने वाली गाय से रोज दूध लेने हेतु उसका गोबर और मूत्र भी साफ करना पड़ता है, चारा खिलाने और देखरेख का श्रम साध्य कष्ट भी उठाना पड़ता है। साथ ही दूध दुहते समय गाय जब पैर झटकती है तो उन पैरों की चोट भी खानी पड़ती है। मैच्योर ग्वाला यह काम मजे से कर लेता है, लेकिन उसका बालक गाय की हरकत पर गुस्सा निकालता है। *अर्थात पढ़ाई बोरिंग होने पर भी पढ़ लेंगे, जॉब बोरिंग पकाऊ होने पर मजे से जॉब कर लेंगे, क्योंकि ज्ञान रूपी अमृत हो या सैलरी रूपी अमृत दोनों हेतु कष्ट साध्य श्रम तो करना पड़ेगा, मैच्योरिटी होगी तो मज़े से करोगे और बालकपन बुद्धि में होगा तो रोज नाराज़गी और टेंशन झेलते हुए जॉब या पढ़ाई करोगे।*
अब एक और काम करिये कि अपने जॉब से सम्बंधित नई नई जानकारी इंटरनेट पर ढूँढिये, इन्फो पढ़िये और तत्सम्बन्धी उसके यूट्यूब वीडियो देखिए। स्वयं को हमेशा अप टू डेट और एक्टिव रखिये। स्वयं का अध्यापन स्वयं कीजिये। स्वयं को मैच्योर लेवल पर ले जाइए, आत्मविश्वास के साथ परिस्थितियों का मैच्योरिटी के साथ सामना कीजिये। आनन्दमय जीवन व्यतीत कीजिये।
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन