प्रश्न – दी मेरी जॉब के चलते हमेशा आये दिन यात्रा में रहता हूँ। चन्द्रायण/मासपरायन करने की तीव्र इच्छा है, आहारक्रम में क्या लूँ? कैसे व्रत रहूँ..

उत्तर – जहाँ चाह वहां राह, चन्द्रायण के समय सत्तू लिया जा सकता है। पकाने की झंझट नहीं है। किसी की सेवा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सत्तू में जौ और चना होता है। इसमें दही या छाछ मिला के सेंधा नमक के साथ ले लो। सत्तू की मात्रा ग्रास की तरह चम्मच से माप सकते हो। घटते बढ़ते क्रम में ले सकते हो या फिक्स 4 ग्रास सुबह और 4 ग्रास शाम को ले सकते हो।

1- गर्मी के दिनों में सत्तू का सेवन करना आपको गर्मी के दुष्प्रभाव एवं लू की चपेट से बचाता है। सत्तू का प्रयोग करने से लू लगने का खतरा कम होता है क्योंकि यह शरीर में ठंडक पैदा करता है।

2- अगर आपको बार-बार भूख लगती है या फिर आप लंबे समय तक भूखे नहीं रह सकते, तो सत्तू आपके लिए लाभदायक है। इसे खाने या फिर इसका शर्बत पीने के बाद लंबे समय तक आपको भूख का एहसास नहीं होगा।

3- सत्तू प्रोटीन का बढ़िया स्त्रोत है और य‍ह पेट की गड़बड़ियों को भी ठीक करता है। इसे खाने से लिवर मजबूत होता है और एसिडिटी की समस्या दूर होती है  आसानी से पचने के कारण कब्जियत भी नहीं होती।

4- जौ और चने से बनाया गया सत्तू डाइबिटीज में फायदेमंद है। अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो रोजाना इस सत्तू का प्रयोग आपके लिए फायदेमंद है। इसे पानी में घोलकर शर्बत के रूप में या फिर नमकीन बनाकर भी लिया जा सकता है।

5- शरीर में ऊर्जा की कमी होने पर सत्तू तुरंत ऊर्जा देने का कार्य करता है। यह कमजोरी को दूर कर आपको ऊर्जावान बनाए रखने में कारगर है। इसमें कई तरी के पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं जो पोषण देते हैं।

6- मोटापे से परेशान लोगों के लिए सत्तू एक रामबाण उपाय है। जौ से बना सत्तू प्रतिदिन खाने से पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है और मोटापा कम होता है।

7- ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए सत्तू का सेवन काफी लाभदायक होता है। इसके लिए सत्तू में नींबू, नमक, जीरा और पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

माला का जप हेतु, एक साफ ऊनी शॉल, माला, गुरुदेब माताजी की फ़ोटो, दो पीले दुपट्टे, गंगा जल एक छोटी शीशी में, मिश्री, दो ग्लास , दो कटोरी, दो चम्मच और दिए का इंतज़ाम हो तो अच्छा न हो तो अगरबत्ती जला लें। ये समान एक बैग में साथ रखें।  होटल में यदि अगरबत्ती भी न जला सकें तो कोई बात नहीं, अखण्डदीप शान्तिकुंज का ध्यान करके, एक ग्लास जल रख के जप पूर्ण कर लें।

होटल में नहा धो कर, ऊनि शॉल बिछा के बैठ जाएं। टेबल को हल्का जल से पोंछ लें। उस पर देवप्रतिमा रख के पूजन कर लें।
और जप पूर्ण कर लें।

रास्ते मे जहां नहाना सम्भव न हो उस दिन का बचा जप नेक्स्ट दिन कर लें। गंगा जल छिड़क के अपने ऊपर सत्तू भगवान को अर्पित कर ट्रेन में ले लें। मौन मानसिक जप करते चले। नादयोग हेडफोन लगा के कर लें। गुरुदेव की आवाज में भी जप हेडफोन लगा के सुविधानुसार कर लें। स्वाध्याय करते रहें।

संकल्पों से मन बंधता है, असम्भव भी सम्भव होता है।

श्वेता, दिया

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