मुश्लिम कैदियों के मार्गदर्शन और उनकी आत्मशांति के मार्गदर्शन हेतु क्या बोलें?

प्रश्न – मुश्लिम कैदियों के मार्गदर्शन और उनकी आत्मशांति के मार्गदर्शन हेतु क्या बोलें?*

उत्तर – सूरह अल फातिहा

1:1  بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील तथा दयावान है|

1:2  الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ

सारी प्रशंसाएँ अल्लाह ही के लिए हैं, जो सारे संसार का रब है।

1:3  الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है।

1:4  مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ

बदला दिए जाने के दिन का मालिक है।

1:5  إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ

हम तेरी ही बन्दगी करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं।

1:6  اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ

हमें सीधे/सत्य मार्ग पर चला।

1:7  صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ

उन लोगों के मार्ग पर जो तेरे कृपापात्र हुए, जो न प्रकोप के भागी हुए और न पथभ्रष्ट। श्रेष्ठ लोगों का अनुसरण करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें।

इसे रोज अपनी प्रार्थना में शामिल करें।

गलतियां इंसान से होती है, हम सोचते हैं क्रोध में कि हम दूसरों को दण्ड दे रहे हैं। लेकिन असल में दण्ड के पात्र हम स्वयं बनते चले जाते हैं।

हम बीच में खड़े हैं, जन्नत(स्वर्ग) और दोज़ख(नर्क) के, अल्लाह ने हमें अपने मन मुताबिक जीने की छूट तो दी है, अपने हिसाब से काम करने की छूट दी है लेकिन उसका फ़ल/रिज़ल्ट/परिणाम अपने हाथ में रखा है। इसलिए जो भी करें पहले हमें सोचना समझना चाहिए।

हम जेल में कुछ प्रारब्ध/पिछले जन्म के कर्मफ़ल से बनी परिस्थिति के कारण भी आते है औऱ कुछ परिस्थितियां क्रोध में मन को नियंत्रण न कर पाने की स्थिति में होती है जिसके कारण हम जेल आते है या कुछ मजबूरी में गलती होती है। बहुत कम केस में कोई जानबूझकर प्लान करके अपराध करता है।

जेल जीवन मे अपनी भूलो के प्रायश्चित करने का उत्तम स्थान होता है, जहां हम नित्य *सूरह अल फ़ातिहा* कम से 108 बार पढ़कर इस पर चिंतन करें। इसके एक एक शब्द को स्वयं में अंकित करें और ख़ुदा की बताई नेक राह पर चलने को स्वयं को प्रेरित करें।

सूर्य जो वृक्ष-वनस्पति और जीवों को प्राण देता है उससे हृदय से प्रार्थना करें कि वो भी अपनी रॉशनी से हमारे भीतर का अंधकार दूर करे, ख़ुदा का नूर बरसे, उजाला ही उजाला मन के अंदर हो। बुराइयां जलकर खाक हो जाएं और नेकनीयत हममें आ जाये। हर जीव वनस्पति मनुष्य औऱ कण कण में हमे ख़ुदा दिखे। और हमारे चेहरे पर ख़ुदा का नूर रहे।

इस एकांत का लाभ अपने आपको अच्छा इंसान बनाने में ख़र्चे, उस ख़ुदा की इबादत में समय ख़र्चे, सूरह अल फ़ातिहा का अर्थ चिंतन करते हुए, उस ख़ुदा के ध्यान में खोए रहें।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *