विचार क्रांति कैसे होगी? पूजा-पाठ और कर्मकांड से?

विचारक्रांति कैसे होगी यह समझने से पहले विचारक्रांति का वास्तव में क्या अर्थ और प्रयोजन क्या है यह समझते है।

विचारक्रांति का अर्थ और प्रयोजन – मनुष्य के आस्था-मान्यताओं और विचार के स्तर को निकृष्टता (स्वार्थ केंद्रित निम्न सोच को)  से विरतकर (दिशाधारा मोड़कर) उत्कृष्टता(आत्मकल्याण और लोककल्याण) की ओर अभिमुख करना है। सरल शब्दों में दुश्चिंतन विचारधारा को सद्चिन्तन विचारधारा में परिवर्तित करना ही विचारक्रांति है।

विचारक्रांति आज की सबसे बड़ी आवश्यकता क्यों? – पहले आधुनिक विज्ञान ने इतनी प्रगति नहीं की थी और सत्ता राजाओं-शासकों के हाथ में होती थी। शासक की विचारधारा को बहुसंख्यक प्रजा अपनाती थी। इसलिए शस्त्रबल के प्रयोग से शासक का वध करने पर काम चल जाता था और युगपरिवर्तन हो जाता था, उदाहरण रावणवध-कंसवध-हिरण्यकश्यप वध इत्यादि।

अब विज्ञान प्रगति पर है, सूचना-आदान प्रदान मोबाईल, टीवी, इंटरनेट, ईमेल, व्हाट्सएप, फेसबुक इत्यादि के माध्यम से तुरन्त सर्वत्र फ़ैल जाता है। सत्ता जनता के हाथ में है। आज शस्त्रबल के युध्द से समाधान नहीं निकल सकेगा। प्रथम-द्वितीय युद्ध से कोई समाधान न निकला। तृतीय विश्व युध्द हुआ तो परमाणु अस्त्रों के प्रयोग से मर्ज़ और मरीज सब समाप्त हो जाएंगे। सम्पूर्ण विश्व तबाह हो जाएगा।

केवल विचार परिवर्तन – विचारक्रांति ही एक मात्र समाधान हैं। जनता विचाररहित नहीं है, मनुष्य अभी पूर्ण रूपेण विवेकशून्य नहीं हुआ है। अतः संगठित होकर सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक क्रांति को विचार-शक्ति के प्रयोग विचारक्रांति से करना सम्भव हो सकता है। राज-सत्ता और धर्म-आस्था में सकारात्मक विचारों के प्रवेश से सर्वागीण हित साधन सम्भव बनाया जा सकता है। ठीक से सही रीति नीति से जनमानस को वस्तु स्थिति समझा दी जाए तो जनमानस उसे स्वीकार करेगा भी और अपनाएगा भी। यही युगनिर्माण की आधारशिला बनेगा।

*विचारक्रांति होगी कैसे? – विचारक्रांति तीन माध्यमो से होगी

1- प्रचारात्मक – प्रोजेक्ट दृष्टिकोण, बोलती दीवारें, स्वाध्याय हेतु प्रेरित करना, सत्साहित्य विस्तार, झोला पुस्तकालय, साहित्य प्रदर्शनी, वर्कशॉप, काउंसलिंग, प्रेरक प्रज्ञा गीत भजन सन्ध्या, प्रज्ञापुराण कथा आयोजन इत्यादि

2- रचनात्मक – साधना आंदोलन,  स्वास्थ्य आंदोलन, बाल सँस्कार शाला, महिला शशक्तिकरण अभियान,  स्वरोजगार, आदर्शग्राम, श्रीरामस्मृति उपवन, जल संरक्षण-जल स्त्रोतों की सफाई, पर्यावरण संरक्षण-वृक्षारोपण, सूक्ष्म परिशोधन – यज्ञ आयोजन इत्यादि

3- सँघर्षात्मक – नशसमुक्ति- व्यसनमुक्ति आंदोलन और रैली, रूढ़िवादी परम्पराओं का विरोध, ख़र्चीली शादी और्वदहेज प्रथा का विरोध, कन्याभ्रूण हत्या का विरोध, फैशनपरस्ती का विरोध इत्यादि

पूजा-पाठ और कर्मकांड विचार क्रांति का एक अंश हैं। साधना आंदोलन में हम मुख्यतया उपासना (गायत्री मन्त्र जप और ध्यान) , साधना (आत्मशोधन-योग-प्राणायाम-स्वाध्याय) और आराधना (लोककल्याणार्थ समयदान, अंशदान और प्रतिभादान) के लिए लोगों को प्रेरित करते है। जो साधक होगा वो स्वयंमेव विचारक्रांति का सहायक बन जायेगा।

घर घर यज्ञ हो या सामूहिक यज्ञ, जन्मदिवस, विवाहदिवस इत्यादि सँस्कार सभी कार्यक्रमों में युग्सन्देश द्वारा स्वधर्म का भान करवाया जाता है, सोई चेतना जगाई जाती है, बुराई का त्याग दक्षिणा में और यज्ञ प्रसाद स्वरूप एक अच्छाई का वरण, यह विचारक्रांति अभियान का ही उपक्रम है।

विचारक्रांति को गहराई से समझने के लिए निम्नलिखित तीन पुस्तकें पढ़े:-

1- सामाजिक, नैतिक एवं बौद्धिक क्रांति कैसे?
2- युग निर्माण योजना – दर्शन, स्वरूप एवं कार्यक्रम
3- युग परिवर्तन कब और कैसे?

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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