भगवान को कैसे जाने? स्वयं को कैसे जाने?

उत्तर – पानी की बूंद समुद्र को कैसे जानेगी? पानी का बुलबुला समुद्र को कैसे जानेगा? लहर समुद्र को कैसे जानेगी? सबका श्रोत एक ही है।

विभिन्न स्वर्ण आभूषण चूड़ी, कंगन, अंगूठी, मुकुट इत्यादि स्वर्ण को कैसे जानेंगे?

समुद्र की कुछ बूंदे सूर्य ने भाप बना के उड़ा दी, वही बूंदे बादल से बरसी, वही नदी तालाब नहर से होती हुई पुनः समुद्र तक पहुंची। कुछ ठंड के कारण ओले के रूप में भी बरसी।

वह एक उसकी अभिव्यक्ति अनेक, कैसे जानोगे उसे स्वयं से अलग जबकि तुम बने ही उससे हो।

उसे जान लोगे तो स्वयं को स्वतः जान जाओगे कि *मैं क्या हूँ?* और यदि स्वयं को जान गए कि *मैं क्या हूँ?* तो उसे भी स्वतः जान जाओगे।

बूंद स्वयं के मूल जल रूप को पहचान गयी तो समुद्र को भी जान जाएगी। स्वर्णाभूषण स्वयं के मूल स्वर्ण को जान गए, एटम को जान गए तो स्वयं को जान जाएंगे।

बाहर की बज़ाय खोज भीतर करो, जिस भगवान को ढूंढ रहे हो वो भीतर ही मिलेगा। मैं का अस्तित्व भी भीतर ही मिलेगा। 

बाहर से मौन होकर, नेत्रबन्द कर इंद्रियों से परे जाओ, स्वयं ध्यानस्थ हो रोज हर पल उसके नज़दीक और नज़दीक पहुंचो। उसमें स्वयं को और स्वयं में उसको अनुभूत करो।

यही सो$हम है, मैं वही हूँ।

श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *