बालसंस्कार शाला में माता-पिता के बीच वर्कशॉप में – उदबोधन

आत्मीय देश के भविष्य को सँवारने वाले माता पिता,

हम सबके शरीर अलग अलग है, लेकिन हम सबका जीवन एक है और जुड़ा हुआ है। आप इस जीवन मे बिना किसी के सहयोग से न जन्म ले सकते है, न चिता में जल सकते हैं। जन्म से अंत तक सहयोग चाहिए।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, सबसे पहले अपने शरीर पर पड़े कपड़े को देखो, यह बताईये क्या यह कपड़ा आपने ख़रीदा होगा… आप तक कैसे पहुंचा? या आपके पेट में जो भोजन है जिस जिसकी ऊर्जा से आप सबके पैरों में खड़े होने की ताकत आई, वो आप तक कैसे पहुंचा?

किसान, व्यापारी, दुकानदार, साइंटिस्ट, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, धोबी इत्यादि अनेक लोगो का सहयोग और सेवा किसी न किसी रूप में लेते है।

 मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज मनुष्यों से बना हुआ है। यदि समाज अच्छा या बुरा है तो इसके लिए मनुष्यो को ही बदलना होगा। इस देश और समाज की एक इकाई हम भी है और हमारा परिवार भी।

यदि हम स्वयं को बदल लें और स्वयं में सुधार कर लें तो हम समाज की एक इकाई को सुधार लेंगे।

अच्छा यह बताइये, किस दुकानदार से आप सामान ख़रीदना चाहेंगे जो ईमानदार हो या जो बेईमान मिलावट खोर हो? जब जो ईमानदारी आप दूसरों में खोज रहे हो वो क्या दूसरे आपमें नहीं खोजेंगे?

आपकी ईमानदार व्यक्ति ढूंढने की तलाश पूरी हो न हो, लेकिन दूसरे व्यक्ति की तलाश जरूर पूरी हो जाएगी उसे एक ईमानदार सच्चा व्यक्ति आपके रूप में मिल जाएगा।

आज स्कूल अच्छी शिक्षा दे रहा है, लेकिन फ़िर भी समाज का चरित्र दिन ब दिन गिर रहा है। महंगे अस्पताल मृत लाश को 5 दिन तक वेंटिलेटर पर रखकर पैसे वसूल रहे हैं, महंगे वकील झूठ को सच साबित कर रहे हैं, महंगे स्कूल शिक्षा को बेंच रहे है, दुकानदार चावल में कंकड़ और दूधवाले दूध में पानी बेंच रहे है, नेता भारत माता की जय की जगह अपनी पार्टी के नेता की जय बोल रहे हैं, जनता को लूट रहे हैं, मनुष्य ही मनुष्य से डर रहा है, रोड पर लड़कों का समूह खड़ा हो और अकेली लड़की हो तो वो भयग्रस्त हो जाती है, उसे वो मनुष्य नहीं आतंकवादी संगठन नजर आते है जो चील की तरह उसकी इज्जत को नोच नोच के खा जाएंगे?

क्या आप इन बेईमानियों से खुश हो? ऐसे विकृत मानसिकता से ग्रस्त समाज मे जीना एन्जॉय कर रहे हो? नहीं न… क्या आप इसमें बदलाव चाहते हो? यदि हाँ तो इस बदलाव का हिस्सा हमें और आपको बनना पड़ेगा। अपने बच्चों को भी इस बदलाव का हिस्सा बनाना पड़ेगा।

*युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी* कहते हैं कि बच्चों का निर्माण एक टीम वर्क है, जिसमें सबको अपनी अपनी भूमिका निभानी पड़ेगी। हम हमारी भूमिका बाल सँस्कार शाला के रूप में निभा रहे हैं, आपको आपकी भूमिका निभाने  में सहायता हेतु कुछ पुस्तकें दे रहे हैं जिसे आप पढ़े और बच्चों को निर्माण तद्नुसार करें:-

1- सुसन्तति निर्माण की समग्र प्रक्रिया

2- बालकों का भावनात्मक निर्माण (बाल मनोविज्ञान)

3- बाल निर्माण की कहानियां

4- महापुरुषों के जीवनियां

5- हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण

निम्नलिखित कुछ जीवनचर्या स्वयं अपनाये फिर बच्चो को सिखाएं।

1- सुबह उठते ही 5 गायत्री मंत्र मन ही मन जपकर, कम से 5 चीज़ों के लिये भगवान को धन्यवाद दें:-

उदाहरण – आप देख सकते है, सुन सकते है, बोल सकते है, चल सकते है, सोच सकते है इत्यादि जो जन्मजात ईश्वर प्रदत्त गिफ्ट है उसके लिए भगवान को धन्यवाद दें।

(कल्पना करें जिसका हाथ या पैर न हो उसके लिए जीवन जीना कितनी बड़ी चुनौती है)

2- बच्चो को देशभक्तों और वीर महापुरुषों की कहानियां पढ़ने के लिए प्रेरित करें।

3- प्राचीन ऋषियों ने जो कहा आज उसे AIMS ने भी रिसर्च में साबित कर दिया कि गायत्री मंत्र जप से बुद्धि बढ़ती है। अतः रोज बच्चो से कम से कम 108 बार गायत्री जप करवाये और 15 मिनट का ध्यान करवाये और स्वयं भी करें।

बच्चे आपको मॉनिटर और ऑब्जर्व कर रहे है, आप जो करोगे उसकी नकल करेंगे। अतः सिखाने से पहले ये उपरोक्त आदत स्वयं में डालनी होगी। परिवर्तन चाहते है तो परिवर्तन का हिस्सा आपको बनना पड़ेगा।

आइये हम सब मिलकर पुनः समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं और बच्चो के लिए अच्छे समाज का निर्माण करें।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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