प्रश्न 110, यज्ञ ज्ञान विज्ञान – प्रश्ननोत्तर

 प्रश्न – 110 :- यज्ञ चिकित्सा के बाद प्राणायाम क्यों करवाया जाता है?

उत्तर – शरीर के ऊर्जा‌-कोष में, जिसे प्राणमयकोष कहा जाता है, 72,000 नाड़ियां होती हैं। ये 72,000 नाड़ियां तीन मुख्य नाड़ियों- बाईं, दाहिनी और मध्य यानी इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना से निकलती हैं। ‘नाड़ी’ का मतलब धमनी या नस नहीं है। नाड़ियां शरीर में उस मार्ग या माध्यम की तरह होती हैं जिनसे प्राण का संचार होता है। इन 72,000 नाड़ियों का कोई भौतिक रूप नहीं होता। यानी अगर आप शरीर को काट कर इन्हें देखने की कोशिश करें तो आप उन्हें नहीं खोज सकते। लेकिन जैसे-जैसे आप अधिक सजग होते हैं, आप देख सकते हैं कि ऊर्जा की गति अनियमित नहीं है, वह तय रास्तों से गुजर रही है। प्राण या ऊर्जा 72,000 अलग-अलग रास्तों से होकर गुजरती है। ये नाड़ीयाँ नाक के बाहर आठ अंगुल तक फैली हुई हैं।

इनमें गड़बड़ी रोगों को जन्म देती है, इनका स्वास्थ्य जीवनी शक्ति को बढ़ा कर शरीर मे ऊर्जा का संचरण करता है।

एंजाइम एक प्रकार का नाड़ी तंतु है, जो श्वांस द्वारा प्राप्त ऑक्सीजन से प्राण ऊर्जा को समस्त शरीर के साथ साथ मष्तिष्क कोषों तक पहुंचाता है। रक्त में डायरेक्ट दवा इंजेक्शन के द्वारा पहुंचाया जा सकता है। इसी तरह यज्ञ से उत्तपन्न औषधीय- -ध्वनियुक्त-प्रकाश ऊर्जा तरंगों  को इन 72 हज़ार नाड़ियों में इंजेक्ट केवल प्राणायाम से किया जा सकता है। अतः प्राणाकर्षण प्राणायाम जरूर करें जिससे अधिक लाभ मिले।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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