प्रश्न – मेरे दो बच्चे हैं, उनकी आपसी दुश्मनी बचपन से है। सोचा था जब बड़े और समझदार होंगे तो सब ठीक हो जाएगा।

प्रश्न – मेरे दो बच्चे हैं, उनकी आपसी दुश्मनी बचपन से है। सोचा था जब बड़े और समझदार होंगे तो सब ठीक हो जाएगा। लेकिन अब तो यह दुश्मनी विकराल रूप ले चुकी है। बेटी बड़ी है और बेटा उससे छोटा है। घर मेरा युद्ध क्षेत्र बन गया है। इन दोनों का रोज रोज़ का झगड़ा न मेरे पति से सम्हल रहा है और न मुझसे सम्हल रहा है। समझ नहीं आता क्या करूँ?

उत्तर- आत्मीय बहन, सर्वप्रथम हृदय को शांत करें और तीन बार लम्बी गहरी श्वांस लें।

एक घटना सुनें- एक बार एक बस में दो स्त्रियां अगल बगल बैठी थी,  एक को भूख लगी उसने टिफिन खोला और खाते वक्त असावधानी से पड़ोस में बैठी महिला के वस्त्र पर अचार लग गया। अब वो दूसरी महिला भड़क गई और काफ़ी मौखिक युद्ध हुआ।

कुछ दिन बात पुनः दोनों महिलाएं दूसरी बस में मिली, पिछले दिनों की कटु स्मृतियां साथ थीं और पुनः बहस शुरू हो गया। अन्य बस यात्री की समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर दोनों बेवजह लड़ क्यों रही हैं।

प्रत्येक आत्मा की अनन्त यात्रा चल रही है। पिछले जन्म में आप की दोनों संतानों की आत्मा दुश्मन थीं। उनकी पुरानी दुश्मनी के सँस्कार जन्मजात हैं। अन्य बस यात्रियों की तरह आप और आपके पति को यह समझ नहीं आ रहा कि आख़िर ये दोनों इतना लड़ते क्यों है, जबकि सच्चाई यह है कि यह दुश्मनी पिछले जन्मों से चली आ रही है।

हम 100% श्योर हैं कि जब यह आत्माएं गर्भ में थीं तो आपने गर्भ सँस्कार के माध्यम से इनके नए अच्छे सँस्कार गढ़ने का प्रयास नहीं किया होगा। आध्यात्मिक गर्भ विज्ञान अपनाकर इनके पूर्व संस्कारों को हटा कर नए सँस्कार गढ़े नहीं है। अतः इनके पूर्व जन्म के सँस्कार ज्यों के त्यों साथ चले आये हैं।

उदाहरण – यदि दूसरी बस में जब दोनों स्त्रियां चढ़ी तब कोई धार्मिक प्रवचन या वेद मंत्रों का उच्चारण हो रहा होता, ख़ुशनुमा माहौल होता और औषधीय हवन की सुगंध उस बस में फैला दी जाती तो उस बस में चढ़ते ही दोनों स्त्रियों का मन शांत हो जाता और हृदय में सुकून छा जाता। फ़िर वो लड़ना भूलकर उस दिव्य वातावरण में रम गयी होती।

अगर मन खुश हो और बच्चे से कप टूट जाएगा तो माँ कम डांटती है। लेक़िन मन में गुस्सा किसी के प्रति भरा हो और तब कप टूट जाये तो माँ बच्चे को पीट देती है।

अब केवल तीन उपाय आपके पास बचा हुआ है, इस समस्या से मुक्ति के लिए:-

1- दोनों बच्चों को अलग कर दें, बेटी की शीघ्रातिशीघ्र विवाह कर दें या बेटे को हॉस्टल भेज दें। दोनों को एक दूसरे से दूर कर दें।

2- बेटी के भीतर कोई कुण्ठा बैठी है, जो चाहे पिछले जन्म की हो या इस जन्म की हो। आप के घर मे जब वो गर्भ में होगी लोगो ने बेटा बेटा ही हो ऐसा मनाया या चिल्लाया होगा। कुछ न कुछ ऐसा घटा है जिसने बेटी को भीतर से दुःखी कर दिया है। अब बड़ी होने पर भीतर की वो कुंठा भाई को देखते ही भड़क उठती है। ऐसी कोई कुंठा बेटे के भीतर भी हो सकती है, बहन का कोई व्यवहार उसे बहुत बुरा लगता होगा। उसके भीतर की कुंठा भी बहन को देखते ही भड़कती होगी। दोनों को प्यार से समझाइए, एक दूसरे के व्यवहारगत दोष को दूर करके मित्रवत रहने को बोलिये।

3- घर में 80 दिन लगातार हवन कीजिये किसी छोटे तांबे के हवन कुंड में कीजिये।(40 दिन बेटी के नाम पर और 40 दिन बेटे के नाम पर) । हवन के लिए गोमय( गाय के गोबर से बनी) समिधा या सूखे नारियल के गोले के छोटे छोटे पीस करके बनाई हुई समिधा से हवन करें। हवन सामग्री शान्तिकुंज की या आर्य समाज वालों की लें। सुबह सुबह हवन करें, आजकल के बच्चे वैसे भी लेट सो कर उठते हैं। हवन के बाद पूरे घर में हवनकुंड स्टील प्लेट में रखकर घुमा दें। हवन की खुशबू दोनों की नाक में जाये। हवन करने के लिए *सरल हवन विधि* पुस्तक का प्रयोग करें, उसमें समस्त मंन्त्र लिखे हैं। किसी गायत्री परिजन की भी सहायता लेकर हवन सीख लें। 24 गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र की नित्य आहुति देनी है। ज्यादा लाभ के लिए विशेष औषधि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के यग्योपैथी डिपार्टमेंट से तनावमुक्ति की मंगवा के भी प्रयोग कर सकते हैं। यज्ञ के समय तांबे का कलश रखें, यज्ञ के बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर थोड़ा जल बचा लें। आटा गूंधने में वही जल प्रयोग कर लें, एक तुलसी का पत्ता और उसमें  सरसों के दाने के बराबर यज्ञ भष्म डाल दें । भोजन में यज्ञ प्रसाद सभी घर वाले खाएं। शाम को 80 दिन तक तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और बच्चो की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें। 11 गुरुवार का व्रत एक वक्त फलाहार और एक वक्त भोजन करके करें। किचन में गायत्री मंत्र बॉक्स हमेशा धीमे स्वर में बजाएं जिससे फ्रीज़ और RO का पानी मंन्त्र तरंगों को स्टोर कर ले। बच्चे जब भी पानी पिएं उनका मन शांत हो। आपका घर झगड़े से मुक्त हो जाएगा। पूर्व जन्म की दुश्मनी मिट जाएगी। दोनों बच्चे प्रशन्न रहने लगेंगे। सबसे बड़ी बात 80 दिन लगातार यज्ञ से आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा इतनी  बढ़ जाएगी कि लोग आपसे पूँछेंगे आपके चेहरे के चमक का राज़ क्या है? ऐसा क्या कर रहे हो कि चेहरा इतना दिव्य लग रहा है?😊😊
80 दिन यज्ञ से घर में पारिवारिक के साथ आर्थिक लाभ भी मिलेंगे।

कुछ पुस्तकें बच्चो को हैंडल करने के लिए:-
1- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
2- मित्रभाव बढ़ाने की कला
3- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
5- जीवन जीने की कला

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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