प्रश्न – मन बहुत दुखी है ऐसा लग रहा है हम पूरी तरह अकेले हो गए हैं।जब समय हमारा ठीक नही तो सब अलग हो गए हमसे कोई साथ नही देना चाहता मेरा।सभी हमारे खिलाफ हो गए जबकि मेरा मन मुझे कभी नही कहता कि मैं गलत हूँ ऐसी स्थिति में मैं क्या करूँ।हर बार मैं झुकती रही रिस्ते सुधारने के लिए पर कुछ नही मिला और सब अलग होते चले गए ।क्या करे दी कुछ बता दो।

उत्तर – आत्मीय बहन, मन से बड़ा छलिया कोई और नहीं, मन से बड़ा वकील कोई और नहीं है। अतः मन तुम्हारा तुम्हें सही कह रहा है इसलिए स्वयं को सही मत मानो।

क्रिकेट के मैदान में बैट्समैन जब किसी बॉलर के गुगली डालने पर आउट हो गया तो यदि उसके मन से पूंछोगे तो उसका मन यही कहेगा कि वह सही खेला।

प्रॉब्लम  तो आज के दिन की थी, मेरा समय खराब चल रहा है, ख़राब किस्मत है, गलती ख़राब बॉल की थी, अम्पायर की थी, वहाँ बैठी जनता की थी। स्वयं को सांत्वना दे देगा।

लेकिन अंतःकरण कहेगा, कि तुम्हारी बैटिंग की तैयारी उस बॉलर से कमज़ोर थी, तुम उस बॉल को जज नहीं कर पाए और ठीक से खेल नहीं पाए। तुम्हें और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है।

जब बैट्समैन का बल्ला चलता है जनता, मीडिया और पूरा खेल जगत उसके साथ होता है। बल्ला चलना बन्द तो वो अकेला होता है और उसे कोई नहीं पूँछता।

अतः बहन जब तक तुम्हारा बल्ला अर्थात दिमाग़, चरित्र-चिंतन-व्यवहार चलेगा, तुम्हारी परफॉर्मेंस अच्छी होगी तो सर्वत्र लोग तुम्हारे पीछे आयेंगे।

👉🏼परिवार के रिश्तेदार नातेदार 🎾 बॉलर हैं, जो तुम्हें आउट करने ही मैदान में उतरे हैं। यदि तुम  बैटिंग🏏 से चुकी तो आउट होगी। यदि दिमाग़ का बल्ला🏏 सही समय पर चला ली तो चौके छक्के का मज़ा लो। जिंदगी के गेम में हमें कोई तब तक आउट नहीं कर सकता जब तक हम मन से अपनी हार न स्वीकार लें।

👉🏼तुम्हारा कोच सद्गुरु तुम्हें कोचिंग देने के लिए तैयार बैठा है, लेकीन क्या आधे घण्टे ध्यान में उसे सुनने बैठती हो। प्रार्थना का अर्थ है अपनी बात सुनाना और ध्यान का अर्थ है भगवान-सद्गुरु की सुनना।

👉🏼तुम्हारे लाइफ़ कोच सद्गुरु ने जीवन के खेल/जंग में जीतने के लिए साहित्य भी लिखा है क्या आपने इन्हें पढ़ा है?

1- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
2- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा।
3- दृष्टिकोण ठीक रखें
4- सफ़लता आत्मविश्वासी को मिलती है
5- सङ्कल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया
6- जीवन जीने की कला
7- सफल जीवन की दिशा धारा
8- हम सुख से वंचित क्यों है?
9- हारिये न हिम्मत
10- गृहस्थ एक तपोवन
11- मित्रभाव बढ़ाने की कला
12- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
13-  निराशा को पास न फटकने दें
14- मानसिक संतुलन
15- मनःस्थिति बदले तो परिस्थिति बदले

👉🏼 जिन लड़कियों को मायके में अधिक प्यार मिलता है, वो ससुराल में एडजस्ट नहीं कर पाती। क्योंकि तानों की वो अभ्यस्त नहीं होती। ससुराल और ताने एक दूसरे के पूरक हैं।

👉🏼 जिन लड़कियों का विवाह उनकी मर्जी के ख़िलाफ़ होता है, वो भी ससुराल में एडजस्ट नहीं कर पाती। क्योंकि मन से वो कभी रिश्ते को नहीं स्वीकारती। मन से मन की राह होती है। झगड़े स्वभाविक है।

👉🏼 जो लड़कियाँ माता-पिता की ख़ुशी के लिए अपने प्रेम का बलिदान देकर किसी अन्य से विवाह करती हैं, वो भी ससुराल में एडजस्ट नहीं कर पाती।

👉🏼 जो लड़कियाँ आत्म स्वाभिमानी होती हैं, उच्च शैक्षिक योग्यता रखती हैं। लेक़िन माता पिता के दबाव में शादी कर लेती है और ससुराल में जॉब करने नहीं मिलता। वो ससुराल में दुःखी रहती हैं, उनके जॉब करने का स्वप्न उन्हें भीतर ही भीतर कचोटता रहता है।

👉🏼 जो लड़कियाँ ससुराल में मायका जैसी सुख-सुविधा और आजादी ढूंढती है, वो हमेशा दुःखी रहती हैं।

👉🏼 वो लड़की हमेशा दुःखी रहती है, जो अपनी बात रखने में सक्षम नहीं होती।

🙏🏻 सुखी वो लड़की ससुराल में रहती है, जो ससुराल को जैसा है वैसा स्वीकारती है। परिस्थिति का आंकलन करके मनःस्थिति से उसे नियंत्रित करती है।

🙏🏻 वो लड़की सदा सुखी होती है जो इमोशनल फूल ( भावनात्मक बेवक़ूफ़) नही होती। प्रत्येक क्षण बुद्धि का प्रयोग करती है।

🙏🏻 वो लड़की सुखी रहती है, जिस पर ससुराल के तानों का कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। वो एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देती है। स्वधर्म का पालन करती है।

🙏🏻 वो लड़की सुखी होती है, मायके में अपने अधिकारों के लिए लड़ती है, अपना कैरियर बनाती है। फिंर विवाह पूर्व ही अपने जीवनसाथी को अपनी जॉब की इच्छा से अवगत करवाती है। सहमति बनने पर ही विवाह करती है। जॉब और परिवार के बीच सन्तुलन स्थापित करने की योग्यता रखती है।

🙏🏻 वो लड़की सुखी होती है, जो न तो मायके वालों के व्यवहार और लेन-देन की गारंटी वारंटी लेती है और न ससुराल वालों के व्यवहार और लेन-देन की गारंटी वारंटी लेती है। वो केवल और केवल अपने व्यवहार की गारंटी वारंटी लेती है। स्वयं सुधार पर ध्यान केंद्रित रखती है।

🧠 सद्बुध्दि की देवी गायत्री का मंन्त्र, पूर्ण चन्द्रमा का आधे घण्टे का ध्यान, आधे घण्टे उपरोक्त पुस्तको का स्वाध्याय और सद्गुरु और स्वयं पर विश्वास जीवन मे सफ़लता का निर्धारण करती है।🙏🏻

🧠 सास को सुधारने की जो कल्पना और चाहत करता है, वो संसार का सबसे मूर्ख प्राणी है जिसको सुख की चाहत नहीं करनी चाहिए।

🧠 पति एक मनुष्य है, जिसका जन्म आपकी सास के गर्भ से हुआ है। यदि वो माँ का पक्ष लेता है, तो यह स्वभाविक वृत्ति है। अतः बिना सबूत उसे उसके माँ के ख़िलाफ़ भड़काने की बेवकूफी न करे। मोबाइल के ऑडियो/वीडियो से स्टिंग ऑपरेशन करें और सबूत के साथ तर्क तथ्य प्रमाण के साथ अपनी बात रखें।

🧠 इंसान अच्छा या बुरा परवरिश के कारण होता है। आप अच्छे हो क्योंकि आपके माता-पिता ने अच्छी परवरिश और सँस्कार दिए हैं। यदि आपकी सास, ससुर या पति में कमी है तो यह उनके माता पिता के गलत परवरिश का परिणाम है। बुद्ध की करुणा और ज्ञान ने अंगुलिमाल डाकू को हृदय परिवर्तित कर दिया था। अतः आपको यदि दस्यु डाकू ससुराल में मिले है तो बुद्ध की तरह गहरे ध्यान, भावसम्वेदना और स्वाध्याय से ज्ञान प्राप्त करने में जुट जाइये। सब ससुराल वालों अपने प्यार, सेवा, करुणा और ज्ञान से अहिंसक बनाकर उनका उद्धार कीजिये। सबसे प्रेम कीजिये।

🔑🗝 सुख बाँटने से मिलता हैं, मांगने से नहीं। सुख और प्रेम पाना है तो सुख और प्रेम बाँटो। जो बोवोगे वही काटोगे। यह परमसत्य है।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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