प्रश्न- दी, मेरी भाभी को मेरा मायका आना अच्छा नहीं लगता। रक्षाबंधन में जब भी जाते हैं किसी न किसी बात पर कलह करती है। भैया और मम्मी परेशान हो जाते हैं। समझ नहीं आता कि क्या करूँ?

उत्तर- आत्मीय बहन, पूर्वजन्म के शत्रु या मित्र हमारे रिश्तेदार बनते हैं। जिनसे पूर्व जन्म की मित्रता होती है वो अच्छा व्यवहार करते हैं, जिनसे शत्रुता होती है वो बुरा व्यवहार करते हैं।

*रक्षाबंधन पर्व तो खुशियां बांटने का पर्व है, और द्विजत्व – ब्राह्मणोचित गुण अपनाने का पर्व है।* लेकिन विडम्बना यह है कि लोगों ने इस पर्व को महंगे गिफ्ट के लेंन-देंन से जोड़ दिया है। बहन का आना मतलब घर का बजट बिगड़ना और एक अंश ख़ातिरदारी और दूजा फ़िर गिफ्ट में ख़र्च इत्यादि।

अब जो त्योहार घर का बजट बिगाड़ दे या पैसे ऐसे किसी  ननद पर खर्च हों जिसे भाभी पसन्द ही नहीं करते तो कलह मचना स्वभाविक हैं।

*गायत्री परिजन आध्यात्मिक चिकित्सक होने चाहिए, तुम भी गायत्री परिजन हो तो समस्या की जड़ ढूढो कहाँ है। अर्थात धन का ख़र्च।*

उपाय हैं तीन, जो पसन्द आये अपना लो* 😇😇😇😇:-

1- राखी कोरियर कर दो, वीडियो कॉल भाई और मम्मी से कर लो। जी भर बातें कर लो। इस तरह दूर रहो सुखी रहो।

तुलसीदास जी कहते हैं:-
*आवत ही हरसे नहीं, नैनन नहीं सनेह।*
*तुलसी तहाँ न जाइये, चाहे कंचन बरसे मेह।।*
(अर्थात जहां जाने पर कोई खुश न हो, आंखों में प्रेम न हो। वहां नहीं जाना चाहिए।)

2- भाभी और उनके बच्चों के लिए महंगे गिफ़्ट ले जाओ। याद रखो जितना खर्च तुम पर हो उससे डबल खर्च करके तुम वहां मायके में भाभी पर करो, उस पर खूब प्यार लुटाओ। अगली बार से तुम्हारी भाभी आरती की थाल लिए खड़ी दरवाजे पर तुम्हारे स्वागत के लिए  मिलेगी।😂😂😂😂
(लक्ष्मीमाता सारी नफ़रत मिटा देती हैं। धन खर्चने पर सर्वत्र सांसारिक लोग पूजते हैं।)

3- भाभी और अपने घरवालों को धीरे धीरे गायत्री साधक बना दो, सबसे बोलो हम रक्षाबंधन पर तभी आएंगे जब आप हमें कोई गिफ्ट वगैरह नहीं देंगे। प्रेम का बन्धन है इसे प्रेम से निभाइये। सहज गायत्रीमय सादगी से रक्षबन्धन मनाइए। सुबह जाइये और शाम को या दूसरे दिन वापस घर आ जाइये। केवल एक दिन ही मायके में रुकिए, भारमुक्त हो अपने काम स्वयं कीजिये।
(गायत्री माता सद्बुद्धि की देवी हैं, वो बैर मिटा देती हैं)

*हमारे कारण किसी भी व्यक्ति को भावनात्मक कष्ट न पहुंचे इसका ध्यान रखें। आपकी भाभी सांसारिक है, छोटी सोच रखती है। लेकिन आप तो आध्यात्मिक हो, बड़ी सोच रख सकते हो। अतः भाभी को उसके दुर्व्यवहार के बाद भी हृदय से प्रेम कीजिये। कलह को इग्नोर कीजिये।*

*हमारा अन्तर्मन भगवान का मंदिर है, इसमें कोई भी कुविचारो का कचड़ा प्रवेश करने मत दीजिये। केवल प्रेम कीजिये। पाप से घृणा कीजिये पापी से नहीं। स्वयं अच्छी भाभी का रोल अपने घर मे निभाते रहिये।*

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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