प्रश्न – दी, मेरी पत्नी वैसे तो बहुत अच्छी है, लेकिन किच किच बहुत करती है। कोई न कोई बात पर घर में या मुझसे बिना लड़े उसका दिन नहीं बीतता। बताइये उसके स्वभाव में मैं परिवर्तन कैसे लाऊँ?

उत्तर – प्रिय आत्मीय भाई, *गुलाब के पौधे में फूल के साथ कांटा भी होता ही है। बिना कांटो का कोई गुलाब का पौधा कभी देखा है?

अच्छा एक बात बताओ, गुलाब के पौधे में कांटे अधिक होते है कि गुलाब? कांटे राइट… फिर कांटे ज्यादा होने पर भी हम उसे कांटे का पेड़ नहीं बोलते बल्कि कम फूल होने पर भी गुलाब ही कहते हैं..ऐसा जब पौधे के साथ व्यवहार कर सकते है तो फिर जीवनसाथी के साथ क्यों नहीं????

इसी तरह भाभी जी के व्यक्तित्व के कांटो की जगह उनके व्यक्तित्व के गुलाब पर दृष्टि जमाइए। आपके लिए कुछ न कुछ अच्छा तो करती होंगी। कुशल माली की तरह गुण दृष्टि रखिये, गुण ग्राहक बनिये और गृहस्थ एक तपोवन तथा धरती का स्वर्ग उनके व्यक्तित्व के कांटो को इग्नोर करते हुए बनाइये।

ज़रा विचार करो, *स्वयं के मन को सुधारना और बदलना कितना मुश्किल कार्य है? मन को एक घण्टे पूर्णतया ध्यानस्थ और शांत रख पाना मुश्किल है। जब स्वयं का मन ही कंट्रोल में नहीं है, और आप चाहते हैं कि भाभीजी का मन आपके कंट्रोल में आ जाये*…भला ये कैसे आसानी से सम्भव होगा?

स्वयं के भीतर आध्यात्मिक दृष्टिकोण का विकसित करके पहले झगड़ा उतपन्न होने वाले ट्रिगर हो पहचानिये, आखिर झगड़ा शुरू कैसे होता है पहचानिए, और स्वयं के भीतर से वो बुराई का अवसर निकाल फेंकिये जो झगड़े की जड़ बनता है, फिर भाभीजी के अवगुणों को शनैः शनैः हटाने का प्रयास कीजिये। *भाई उनके क्रोध और झगड़े की आग बुझानी है तो धैर्य और भावसम्वेदना का जल बन जाइये।*

भाभीजी के मन के टीवी में कौन सा चैनल चलेगा ये आपके द्वारा दिए रिमोट के कमांड पर भी निर्भर करता है।

गायत्री परिवार की आधारशिला ही निम्नलिखित दो वाक्य है:-

1- *अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है।*

2- *हम सुधरेंगे युग सुधरेगा। हम बदलेंगे युग बदलेगा।*

इसमें कहीं नहीं लिखा कि तुम सुधरोगे तो युग सुधरेगा। तुम सुधरोगे तो परिवार सुधरेगा। समझ ही गए होंगे कि सुधरना पहले स्वयं को ही पड़ेगा, फिर भाभीजी तक सुधार पहुंचेगा।

निम्नलिखित पुस्तको का स्वाध्याय करो और अपने गृहस्थ जीवन में सुकून और शांति लाओ:-

1- गृहस्थ एक तपोवन
2- मित्रभाव बढ़ाने की कला
3- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
4- दृष्टिकोण ठीक रखें
5- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
7- जीवन जीने की कला

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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