प्रश्न – दी, जब लोग ज्यादा परेशान करें तब क्या करना चाहिए?

उत्तर – आत्मीय बहन,

ये बताओ निम्नलिखित परिस्थिति में हमे क्या करना चाहिए?
1- बरसात में छत टपके तो..
2- शरीर पर मख्खी बैठे तो..
3- बैंक में चोरी हो तो…
4- क्रिकेट ग्राउंड में बैट्समैन आउट हो रहा हो तो..

 उत्तर होगा:-
1- छत की मरम्मत करवाओ, क्योंकि बरसात को रोकना हमारे बस में नहीं।
2- शरीर को स्वस्थ और साफ रखो, फोड़े न होने पाएं यदि हो गए हों तो उन पर दवाई लगाओ क्योंकि मख्खी बिना घाव और गन्दगी आएगी नहीं। हम मख्खी को नियंत्रित नहीं कर सकते।
3- चोरों को पूर्णतया समाप्त करना हमारे बस में नहीं, लेकिन हम अपने बैंक की सिक्योरिटी इतनी बढ़ा सकते हैं कि चोर चोरी कर ही न पाएं।
4- बॉलर को हम अपनी इच्छानुसार बॉलिंग करने के लिए नहीं कह सकते, लेकिन हम स्वयं को इस तरह अभ्यास द्वारा तैयार कर सकते हैं कि कोई भी गेंद खेल सकें।

बहन इसी तरह, लोग को आप नियंत्रित नहीं कर सकती। लोगों के मुंह मे ढक्कन लगाना संभव नहीं। आपको स्वयं पर काम करने की जरूरत है।

1- अपना आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाएं, क्या कहेंगे लोग परवाह मत करो
2- हीनता का फोड़ा मन से हटा दो, अपनी तुलना किसी से मत करो। तुम सर्वश्रेष्ठ हो और अपनी कठिनाइयों का सामना सैनिकों की तरह करो।
3- अपनी ऊर्जा स्वयं की बैंक की तरह मन की सिक्योरिटी बढ़ाने में करो, कि कोई लोग तुम्हें परेशान कर ही न पाएं।
4- जिंदगी के क्रिकेट के मैदान में तुम लोगों को परेशानी की बॉल तुम्हारी तरफ फेंकने से रोक नहीं सकती, लेकिन तुम उन बॉल पर चौके, छक्के लगा सकती हो, इस गेम में जबतक तुम मन से नहीं हरोगी ब्रह्माण्ड की कोई शक्ति तुम्हे हरा नहीं सकती। दूसरों को उन्ही के गेम में परास्त कर सकती हो।

यह जिंदगी युद्ध का मैदान है, जो सैनिक मनोवृत्ति का है वो लड़ रहा है, जो खिलाड़ी मनोवृत्ति का है वो खेल रहा है, जो अनाड़ी है वो रो रहा है, जो डरपोक मनोवृत्ति का है वो भय से मर रहा है। Attitude(मनोवृत्ति) is everything.

रोज जंगल मे शेर भी दौड़ता है और हिरन भी, जो शेर जीता भोजन मिलेगा, जो हिरन जीता तो उसका जीवन बचेगा। प्रकृति और यह धरा को वीरों के लिए है(वीर भोग्या वसुंधरा)। संघर्ष ही जीवन है, सबको अपने हिस्से का युद्ध लड़ना पड़ेगा।

कुछ पुस्तकें स्वयं की मनोवृत्ति(attitude) की मरम्मत(Maintenance) के लिए पढ़ें:-

1- सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है
2- दृष्टिकोण ठीक रखें
3- शक्तिवान बनिये
4- प्रबंधव्यवस्था एक विभूति एक कौशल
5- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
6- हारिये न हिम्मत
7- आगे बढ़ने की तैयारी
8- निराशा को पास न फटकने दें

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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