प्रश्न – दी, क्या सभी को खुश किया जा सकता है? यदि हाँ तो कैसे?

उत्तर – नहीं, इस संसार में सबको ख़ुश करना किसी के लिए संभव नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे सूर्य समस्त पृथ्वी को एक साथ प्रकाशित नहीं कर सकता। पृथ्वी के एक तरफ़ उजाला होगा तो दूसरी तरफ अंधेरा। यदि जिस तरफ उजाला भी हो तो कोई अपनी खिड़की दरवाज़े बन्द कर ले तो सूर्य की रौशनी प्रवेश नहीं कर सकती। सूर्य के अधिकार में केवल प्रकाशित होना है, उसकी ऊर्जा का उपयोग कोई सोलर सिस्टम लगा के ज्यादा कर ले, या कोई धूप सेक ले या कोई कपड़े सुखा लें या कोई खिड़की दरवाज़े बन्द कर ले। यह तो उपयोग कर्ता का अधिकार है।

संगीतकार बेस्ट धुन बना सकता है, वह धुन सबको समान पसन्द आएगी यह सम्भव नहीं है। रसोईया भोजन बना सकता है लेकिन सबको एक जैसा पसन्द आये यह सम्भव नहीं है। इसी तरह तुमसे सब ख़ुश हों तुम्हारे घर परिवार मित्र और ऑफिस वाले यह सम्भव नहीं है।

तो करना क्या है?

जैसे सूर्य प्रकाशित होता है, वैसे ही ईमानदारी से सत्कर्म करो, सन्मार्ग पर चलो। लोगों के उद्धार हेतु प्रयत्नशील रहो, उतनी ही उदारता बरतो जितनी सूरज बरतता है। अब कौन कितना सुखी होना चाहता है या कोई तुमसे नाराज होना चाहता है यह उसका अधिकार क्षेत्र है। तुमने अपना कर्तव्य कर दिया अब उस कर्तव्य के परिणाम को सोच सोच कर चिंतित मत हो। तुमने मुस्कुरा के अभिवादन किया और कोई मुंह फेर कर चला गया या कोई बदले में अभिवादन किया। दोनों ही परिस्थिति में तुम कुछ नहीं कर सकते। केवल तुम सूर्य की तरह अपने हिस्से का कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाओ, जिससे तुम्हारे मन मे कोई ग्लानि न हो और आत्मसंतुष्टि रहे।

युगऋषि लिखित कुछ पुस्तकें जो तुम्हें जीवन जीने की कला सिखाएंगी, इन्हें पढो:-

1- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
2- जीवन जीने की कला
3- गहना कर्मणो गतिः(कर्म का सिद्धान्त)
4- दृष्टिकोण ठीक रखें
5- मित्रभाव बढ़ाने की कला
6- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
7- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
8- प्रबन्धव्यवस्था एक विभूति एक कौशल
9- सफलता के सात सूत्र साधन
10- आगे बढ़ने की तैयारी

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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