प्रश्न – अपने विवाहित जीवन में सुख, शांति और अखण्ड सौभाग्य के लिए कौन सी साधना करूँ? कृपया मार्गदर्शन करें

उत्तर – गायत्री महाविज्ञान में युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब द्वारा बताई निम्नलिखित साधना श्रद्धा,  विश्वास और समर्पण के साथ करें, निश्चयतः लाभ होगा।
*विवाहित जीवन मे सौभाग्य प्राप्ति साधना*

अपने पतियों को सुखी, समृद्ध, स्वस्थ, सम्पन्न, प्रसन्न, दीर्घजीवी बनाने के लिए सधवा स्त्रियों को गायत्री की शरण लेनी चाहिये। *इससे पतियों के बिगड़े हुए स्वभाव, विचार और आचरण शुद्ध होकर इनमें ऐसी  सात्त्विक बुद्धि आती है कि वे अपने गृहस्थ जीवन के कर्त्तव्य- धर्मों को तत्परता एवं प्रसन्नतापूर्वक पालन कर सकें। इस साधना से स्त्रियों के स्वास्थ्य तथा स्वभाव में एक ऐसा आकर्षण पैदा होता है, जिससे वे सभी को परमप्रिय लगती हैं और उनका समुचित सत्कार होता है।* अपना बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य, घर के अन्य लोगों का बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य, आर्थिक तंगी, दरिद्रता, बढ़ा हुआ खर्च, आमदनी की कमी, पारिवारिक क्लेश, मनमुटाव, आपसी राग- द्वेष एवं बुरे दिनों के उपद्रव को शान्त करने के लिये महिलाओं को गायत्री उपासना करनी चाहिये। पिता के कुल एवं पति के कुल दोनों ही कुलों के लिये यह साधना उपयोगी है, पर सधवाओं की उपासना विशेष रूप से पतिकुल के लिये ही लाभदायक होती है।

प्रात:काल से लेकर मध्याह्नकाल तक उपासना कर लेनी चाहिये। जब तक साधना न की जाए, भोजन नहीं करना चाहिये। हाँ, जल पिया जा सकता है। शुद्ध शरीर, मन और शुद्ध वस्त्र से पूर्व की ओर मुँह करके बैठना चाहिये। केशर डालकर चन्दन अपने हाथ से घिसें और मस्तक, हृदय तथा कण्ठ पर तिलक छापे के रूप मे लगायें। तिलक छोटे से छोटा भी लगाया जा सकता है। गायत्री की मूर्ति अथवा चित्र की स्थापना करके उनकी विधिवत् पूजा करें। पीले रंग का पूजा के सब कार्यों में प्रयोग करें। प्रतिमा का आवरण पीले वस्त्रों का रखें। पीले पुष्प, पीले चावल, बेसन के लड्डू आदि पीले पदार्थ का भोग, केशर मिले चन्दन का तिलक, आरती के लिए पीला गो- घृत, गो- घृत न मिले तो उपलब्ध शुद्ध घृत में केशर मिलाकर पीला कर लेना, चन्दन का चूरा, धूप। इस प्रकार पूजा में पीले रंग का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिये। नेत्र बन्द करके पीतवर्ण आकाश में पीले सिंह पर सवार पीतवस्त्र पहने गायत्री का ध्यान करना चाहिये ।। पूजा के समय सब वस्त्र पीले न हो सकें, तो कम से कम एक वस्त्र पीला अवश्य होना चाहिये। इस प्रकार पीतवर्ण गायत्री का ध्यान करते हुए कम से कम तीन माला गायत्री मन्त्र की जपने चाहिए। जब अवसर मिले, तभी मन ही मन भगवती का ध्यान करती रहें। महीने की हर एक पूर्णमासी को व्रत रखना चाहिये। कच्चे दूध से चन्द्रमा को स्टील की ग्लास या चांदी के बर्तन से अर्घ्य दें। अपने नित्य आहार में एक चीज पीले रंग की अवश्य लें। शरीर पर कभी- कभी हल्दी का उबटन कर लेना अच्छा है। यह पीतवर्ण साधना दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने के लिये परम उत्तम है।

कुशल गृहणी कड़वे करेले को भी मस्त मसाला डाल के स्वादिष्ट बना के खा लेती है। इसी तरह कुशल बुद्धिमान गृहणी करेले के समान कड़वे व्यवहार के पति को भी चला लेती है। बस इस कड़वे व्यवहार को हैंडल करना सीख ले, और अपने मन की शांति से उनको भी शांत कर दे। बुद्ध की शांति जल से अंगुलिमाल का क्रोध का जल शांत हो जाता है। यूट्यूब की नीचे लिंक दी गयी है उसके अनुसार पूर्ण शीतल चन्द्रमा का ध्यान कीजिये और हृदय में गहन अंदरूनी शांति लाइये, कि भयंकर क्रोधी भी आपके सम्मुख क्रोध कर ही न सके।आपके सम्पर्क में शीतल शांत हो जाये।

24 बार राधा गायत्री मंत्र जप और 24 बार चन्द्र गायत्री मंत्रजप से रिश्तों में मधुरता आती है:-

गायत्री मंत्र – *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्य भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*

*कृष्ण गायत्री मन्त्र*–ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।

*राधा गायत्री मन्त्र* –ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।

*चन्द्र गायत्री मंत्र* :- ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि ! तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात !

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Reference Book – गायत्री महाविज्ञान

http:// literature .awgp. org/book/Super_Science_of_Gayatri/v9.26

Youtube link – https ://youtu. be/ umAfVbaGWhw

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