पूजा और ध्यान में मन नहीं लगता, मन मेरी सुनता नहीं

अच्छा मन नहीं सुनता, लेकिन तन तो सुनता है न। जहाँ जाना चाहो जाता है कि नहीं , ग्लास उठाने को बोलो उठाता है कि नहीं।

हांजी तन तो सुनता है। अब एक काम करिये 15 दिन तक शरीर को भोजन पानी मत दीजिये। फिर 16वे दिन पैर को चलने को बोलो और हाथ को उठाना चाहो। तन सुनेगा। नहीं न।

इसी तरह मन को भी भोजन चाहिए। अच्छे विचारों, सत्संग, स्वाध्याय का, यदि मन को नियमित यह आहार नहीं दोगे। तो मन विद्रोह करेगा और आपकी कभी नहीं सुनेगा।

तन को सन्तुलित आहार दो,
मन को सन्तुलित विचार दो,
 जीवन को सन्तुलित विहार दो,
आनन्दमय जीवन की बहार लो।

श्वेता, DIYA

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