नवरात्र का आठवां दिन – महागौरी का ध्यान

ध्यान – नेत्र बन्द कर भावना कीजिये क़ि महागौरी गौर वर्ण हैं, श्वेत पुष्पों का श्रृंगार किया हुआ है, चांदनी की तरह दूधिया साड़ी में स्वर्ण मण्डित किनारा है। महागौरी की चार भुजाएँ हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।

भावना कीजिये क़ि माँ हमारी की चित्त वृत्तियों को सत्‌ की ओर प्रेरित करके असत्‌ का विनाश कर रही हैं। हमारा मन निर्मल हो रहा है। हम कषाय कल्मष से मुक्त हो रहे हैं। हम माता के श्री चरणों का पूजन कर रहे हैं, पहले जल से चरण धोकर, उसे पोंछ रहे हैं, चरणों में पुष्प अर्पित कर रहे हैं। हम नीचे बैठे हैं और माँ ने अपना दाहिना पैर हमारे सहस्त्रार दल के ऊपर हमारे सर पर रखा है। माँ के चरणों से निकलने वाली किरणों ने हमें बिलकुल पारदर्शी और चन्द्रमा की तरह श्वेत और चमकीला बना दिया है। हमारे अंग प्रत्यंगों से रौशनी निकल रही है। हम माँ के चरण स्पर्श से दिव्य, सुन्दर और गौरवर्ण चांदनी सी रौशनी लिए हुए हो गए हैं। इस ध्यान में खो जाइये।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे माँ, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन

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