नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी ध्यान

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है।

 इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है।

ध्यान – माँ कात्यायनी का ध्यान दोनों भौं के बीच आज्ञा चक्र(जहाँ स्त्रियां बिंदी और पुरुष तिलक लगाते हैं) वहां करना चाहिए। भावना करें, आज्ञा चक्र में स्फुरण हो रहा है, कमल पुष्प खिल गया है। उस कमल पुष्प में माँ कात्यायनी विराज मान है। माँ के भीतर के प्रकाश से मन मष्तिष्क में प्रकाश ही प्रकाश हो गया है। पूरे शरीर में मानो हज़ारों वाट के बल्ब जितनी रौशनी निकल रही है। अपने रोम रोम से शक्ति का प्रकाश निकलता हुआ अनुभव कीजिये और इस ध्यान में खो जाइये।

प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।

इसके अतिरिक्त ऐसी मान्यता है जिन कन्याओ या लड़कों के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।

शीघ्र और सुयोग्य जीवनसाथी से शीघ्र विवाह के लिये 40 दिन तक रोज 10 माला गायत्री मन्त्र और एक माला कात्यायनी मन्त्र की जपें। साथ ही तृतीया(शुक्ल पक्ष) का व्रत रखें, भोजन में तीन मीठी रोटी या परांठा चढ़ाएं। एक रोटी गाय को खिला दें, एक रोटी प्रसाद में बाँट दे और एक स्वयं ग्रहण कर लें।

गायत्री मन्त्र –
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*

विवाह हेतु कात्यायनी मन्त्र –
 ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।

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