तुलसी के पौधे को रविवार को जल क्यों नहीं चढ़ाते

प्रश्न :- तुलसी के पौधे को रविवार को जल क्यों नहीं चढ़ाते?

उत्तर :- पेड़ में नित्य जल चढ़ाने से ऑक्सीकरण डिस्टर्ब होता है। जैसे मनुष्य उपवास करके शुद्ध होता है वैसे ही एक दिन का ब्रेक तुलसी के दिव्य पौधे को भी चाहिए। मिट्टी की उर्वरता सप्ताह में एक दिन का ब्रेक देने पर बढ़ जाती है।

प्रश्न :- तुलसी के सामने घी का दिया क्यों जलाते हैं?

उत्तर :- तुलसी औषधीय रस को हवा में छोड़ता है, और रेडिएशन को दूर करने के साथ हवा के रोगाणुओं को मारकर हवा को रोगमुक्त बनाता है। घी का दिया सकारात्मक ऊर्जा का घेरा लगभग 5 मीटर का बनाता है। तुलसी को दिया देने से इन दोनो का मिलन होता है। तुलसी के औषधीय रस और घी के दिये की गर्मी से गर्म होकर लगभग 5 मीटर तक घर मे फैलकर सकारात्मक ऊर्जा के साथ औषधीय हवा फेफड़ो तक पहुंचाते हैं।

प्रश्न :- तुलसी को शिव पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता?

उत्तर :- शिव के लिंग उन मुख्य स्थलों पर स्थापित किये गए हैं जहां पृथ्वी पर सर्वाधिक रेडिएशन है। रेडिएशन को शिवलिंग वातावरण से खींच कर धरती के गर्भ में प्रस्थापित करके निष्क्रिय करता है। तुलसी रेडिएशन रोकती है। अतः इस कार्य मे विघ्न पहुंचेगा। इसलिए तुलसी शिव पर चढ़ाना वर्जित है।

प्रश्न :- तुलसी को चबाकर डायरेक्ट खाने के लिए मना किया जाता है। तुलसी को प्रसाद या मीठे में मिलाकर खाने को कहते है या गटकने को क्यों बोलते है?

उत्तर :- तुलसी में पारे जैसा तीव्र औषधीय प्रभाव होता है जो डायरेक्ट दांतों के न सहने पर कठोर दांतो को नुकसान पहुंचा सकता है। इसको प्रसाद में मिलाकर या काढ़ा बनाने पर खाने पर दांत इसे सह लेते है। मुंह की लार तुलसी के रस में मिलकर पेट मे पहुंचती है। पूरी पाचन संस्थान को रोगमुक्त करती है।

श्वेता , DIYA

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