गायत्री मन्त्रलेखन के अनेक लाभ

गायत्री मन्त्रलेखन मानसिक शक्तियों के केंद्रीकरण, ध्यान, मंत्रजप और लेखन का अद्भुत संयोजन है। दोनों हाथ से गायत्री मंत्र लेखन करने पर दोनों ब्रेन एक्टिव होते हैं जो दिमाग के सन्तुलन में अति सहायक सिद्ध होते हैं।

आप यदि पढ़ाई कर रहे है या जॉब, अत्यधिक मानसिक मेहनत करने वालों के लिए तो यह राम बाण औषधि है दिमाग को चुस्त दुरुस्त रखने की। नित्य एक पेज मन्त्रलेखन और मानसिक मांसपेशियों की मजबूती प्रदान करता है। पढ़ाई में मन लगने लगेगा, और यादाश्त बढ़ेगी।

गायत्री मन्त्रलेखन मन्त्र जप से दस गुना ज्यादा फ़लदायी है, मनुष्य के अंदर की 24 केंद्रों में स्पंदन कर उनमें प्राण संचार कर उन्हें जागृत करता है। बस इतना ध्यान रखे मन्त्र लेखन करते वक्त सिर्फ मन्त्र लेखन करें और मन ही मन बोलते और मन ही मन बोले मन्त्र को सुनते हुए लिखे। आश्चर्यजनक सुखद परिणाम मिलेंगे।

सुबह चाय से जो तरोताजगी ढूंढते है उससे ज्यादा तरोताज़गी सुबह एक ग्लास जल पीने के बाद मन्त्रलेखन से मिलती है।

नशा से जो लोग मुक्ति चाहते है, मन्त्रलेखन करने से उनमें संकल्पबल बढ़ेगा और वो नशा स्वयं की संकल्प शक्ति से छोड़ पाएंगे।

जो लोग अच्छी नींद को तरसते हैं, वो रात को एक ग्लास पानी पीने के बाद मन्त्रलेखन करके सोने की आदत डालें। गहरी और मीठी नींद मिलेगी। माइग्रेन के मरीजों को भी मन्त्रलेखन से सरदर्द में राहत मिलेगी।

विद्यार्थी, व्यवसायी, गृहणी और जॉब वाले लोग किसी को भी जब भी टेंशन अनुभव करने लगे, तो एक ग्लास पानी लें उसे ध्यान से देखें। भावना करें कि देवाधिदेव महादेव शिव के जटाओं से निकलती मां गंगे ने अपने गंगा जल से यह ग्लास भरी है। यह गंगा जल समस्त शारीरिक मानसिक थकावट को दूर करेगा। मुझे शक्ति सामर्थ्य और परमशान्ति देगा। यह सोचते हुए एक बार गायत्री मंत्र जप कर लम्बी गहरी श्वांस लें और जल को देखते हुए घूंट घूंट करके भावनात्मक निर्मित गंगा जल पिये। यदि सम्भव हो तो 5 बार मन्त्रलेखन कर लें या मौन मानसिक गायत्री मंत्र जप लें और फिर नई शक्ति ऊर्जा से पुनः कार्य मे जुट जाएं।

निरन्तर अभ्यास से टेंशन क्या होता भूल जाएंगे। संसार के कोलाहल के बीच भी अद्भुत अंदरूनी शांति महसूस करेंगे।

*गायत्री मन्त्रलेखन*

 अपनाए और जन जन तक पहुंचाए।

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