गर्भ संवाद गीत

तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्म रूप हो,

हे कर्म योगी! जन्म लेकर,
इस संसार का उद्धार करो,
अपने बुद्धि सामर्थ्य से,
इस संसार का कल्याण करो।

तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्म रूप हो।

तुम युगऋषि प्रज्ञावतार के सहयोगी हो,
तुम हिमालय के एक सिद्ध योगी हो,
सृष्टि के कल्याण हेतु ही,
मेरे गर्भ में आये हो।

तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्म रूप हो।

तुम्हारी माँ बन के आज मैं हर्षित हूँ,
तेरे ज्ञान प्रकाश से मैं आलोकित हूँ,
एक युगनिर्माणि सिद्ध योगी को,
गर्भ में धारण कर मैं पुलकित हूँ।

तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्म रूप हो।

तुम अध्यात्म और विज्ञान में,
सदा सर्वदा सन्तुलन रखना,
तुम सांसारिक सफलता के साथ साथ,
आध्यात्मिकता के शिखर पर चढ़ना।

तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्म रूप हो।

तुम शिव की तरह सदा उदार रहना,
तुम श्रीराम की तरह मर्यादा धारण करना,
तुम कृष्ण की तरह कुशल कूटनीतिज्ञ बनना,
गीता के कर्मयोग सिद्धांत सदा अपनाना।

तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्म रूप हो।

दीप बनकर जलते रहना,
आंधी तूफानों से भी लड़ते रहना,
अपने आत्मज्ञान प्रकाश से,
जहान का अंधकार दूर करना।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

(गर्भ में हाथ रखकर इस गर्भ संवाद गीत को गुनगुनाएं)

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