गर्भसंस्कार के साथ गर्भ दुबारा जल्दी न ठहरे इसकी सलाह देना भी अनिवार्य है।

प्रश्न-उत्तर और शंका-समाधान में अभी तक कई सारे भाई बहनों की समस्या और प्रश्न आया कि बच्चा सिजेरियन हुआ और 5 महीने के अंदर गर्भ दुबारा ठहर गया और लड़की को पता नहीं चला। अब ऐसा भी नहीं है कि पति पत्नी दोनों शिक्षित नहीं है, या मार्किट में उपलब्ध गर्भ निरोधक संसाधनों से अंजान है। उनसे बातचीत करने पर तीन बातें सामने आई:-

1- डॉक्टर ने कहा था कि पीरियड तीन चार महीने से पहले नहीं आएगा। अतः लड़की ने सोचा तो गर्भ ठहरने का सवाल ही नहीं है और लापरवाही बरती। अब गर्भ ठहरने पर पश्चाताप हो रहा है।

2- लड़के ने मन पर नियंत्रण खोया और साथ ही विवेक दृष्टि और दूरदर्शिता भी खो दिया। जब होश आया और गर्भ का पता चला तो पश्चाताप हुआ। गर्भ गिराए या रखें, मन पाप-पुण्य में झूल रहा है। अनिश्चितता बनी हुई है।

3- लड़के-लड़की को गर्भ निरोधक समान खरीदने में शर्म महसूस होती है, मन पर नियन्त्रण नहीं है और बाह्य नियंत्रण बुढ़िया पुराण के अनुसार शर्म के कारण नहीं अपना रहे।  गर्भ ठहर गया दुबारा इतनी जल्दी उसमे भी शर्म आ रही है। कुछ समझ नहीं आ रहा कि गर्भ गिरवाये या नहीं। पाप-पुण्य का उलझन। घर मे कैसे बताये इसमें भी शर्म..

कई सारे भाई बहन के घर जब यज्ञ करवाने जाओ तो बच्चे जुड़वा लगते है, पूंछने पर पता चलता है कि दोनों बच्चो में मात्र 11 या 12 महीने का अंतर है बस। भूलवश या अज्ञानतावश हो गया। परेशानी सिजेरियन पेट का दो बार वो भी 11 महीने या 12 महीने बाद। फिर दो बच्चों को सम्हालने में शरीर की दुर्दशा और मन का अस्थिर होना इत्यादि।

इन समस्याओं से कई जिंदगियां बच सकती है, यदि गर्भ सँस्कार के साथ साथ हम गर्भिणी को इन बातों को समझा दें कि गर्भ पीरियड आये न आये सिजेरियन के बाद ठहर सकता है। सावधानी बरतें। बहुत जिंदगियां बच जाएंगी। बहुत सारे गर्भपात होने से बच जाएंगे।

अशिक्षित गरीब स्त्रियों का तो इससे भी बुरा हाल है। यदि हम इन्हें परेशानी में पड़ने से बचा सकें तो बेहतर होगा। क्योंकि इनके सिजेरियन वैसे तो बहुत कम ही होता है लेकिन जिनका होता है उनकी तो ढंग से केयर भी नहीं होती। फिर जल्दी दूसरा बच्चा उन्हें बीमारियों का घर बना देता है।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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