एक दिन की वर्षा में बाढ़ नहीं आती। अनवरत प्रयास से ही अच्छा या बुरा परिणाम मिलता है। 40 दिनों के अनवरत प्रयास का बड़ा महत्त्व है।

40 दिन नियमित गांजे इत्यादि नशे के सेवन से सोचने समझने की शक्ति डिस्टर्ब हो जाती है जिससे जीवन मे निर्णय क्षमता काम नहीं करती। अक्ल पर पर्दा पड़ जाता है। विवेक नष्ट हो जाता है। गलत दिशा से जीवन दशा बिगड़ जाती है भविष्य अंधकार मय बन जाता है।

40 दिन नियमित अश्लील फ़िल्म और साहित्य पढ़ने से इंसान में देवत्व कमजोर हो जाता है और भीतर का  नर पिशाच पुर्णतया अट्टहास करता हुआ उसे व्यभिचारी बना देता है। अक्ल पर पर्दा पड़ जाता है। विवेक नष्ट हो जाता है। गलत दिशा से जीवन दशा बिगड़ जाती है भविष्य अंधकार मय बन जाता है।


40 दिन नियमित क्रांति धर्मी साहित्य पढ़ने से भीतर का योद्धा शिवाजी की तरह जग जाता है। कायरता दब जाती है, वीरता जग जाती है। अक्ल का पर्दा उठ जाता है। कुछ कर गुजरने का जोश उमड़ पड़ता है।

40 दिन नियमित योग प्राणायाम करने पर बिगड़ा स्वास्थ्य संवर जाता है। शरीर की रिपेयरिंग हो जाती है। मन और तन हल्का लगता है।

40 दिन नियमित गायत्री मंत्र जपने से बुद्धि में तीक्ष्णता आती है। जीवन को देखने का एरियल व्यू(ऊपर से साक्षी भाव से जीवन देखने की क्षमता) बढ़ जाती है। अक्ल पर पड़ा पर्दा उठ जाता है। विवेक दृष्टि मिलती है। व्यक्ति की निर्णय क्षमता बढ़ जाती है। क्या जीवन मे सही है या क्या गलत समझने लगता है। सही दिशा में सन्मार्ग पर चलने लगता है जिसके कारण जीवन दशा सुधर जाती है। भविष्य उज्ज्वल बन जाता है।

40 दिन नियमित ध्यान का अभ्यास करने से 41 दिन से अत्यंत कम प्रयास से ही ध्यान स्वतः लगने लगता है।

40 दिन के महत्त्व को समझें जीवन को मनचाहा मोड़ दें।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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