आत्महत्या की कायरता न करें, जीवन के प्रति आशावान बने

निराशा को पास न फटकने दे, आनन्द उत्साह उल्लास और उमंग से जीवन जियें

निराशा के अंधेरे में मत भटको,
बस इक आशा का दीप जला लो,
उत्साह उमंग और उल्लास में झूम के,
एक बार पुनः सोया आत्मबल जगा लो।

थोड़ा अपनी सम्पत्ति का लेखा जोखा कर लो,
और अपने भीतर के बहुमूल्य अंगों को देख लो,
कितना कीमती मानव तन मिला है,
थोड़ा इसका भी लेखा जोखा कर लो।

किडनी लीवर हार्ट और रक्त इत्यादि,
करोड़ो का सामान भीतर भरा पड़ा है,
सब जीवों में श्रेष्ठ बुद्धिबल लेकर,
केवल मानव ही सर्वश्रेष्ठ बना है।

आओ कुछ ख़ुशी मनाने के कारण देखें,
जीवन को एक नूतन दृष्टि से जांचे परखें,
हम जिंदा है क्या ये खुशी की बात नहीं?
हम बोल देख सुन चल और सोच-समझ सकते है,
क्या ये सब ख़ुशी के कारण पर्याप्त नहीं?

दिल की धड़कन का संगीत सुनो,
अंतर्जगत में बज रहा ब्रह्म नाद सुनो,
आओ थोड़ा नेत्र बंद कर ध्यान करो,
और अंतर्जगत के उत्सव का भान करो।

तुम उस ईश्वरीय चेतना का अंश हो,
अपनी पूर्ण शक्ति का भान करो,
सोए आत्मबल को पुनः जागृत कर,
विपरीत परिस्थितियों का बहादुरी से सामना करो।

मरना तो सबको एक दिन है,
लेकिन आत्महत्या की कायरता न करो,
वीर सैनिक की तरह जीवन संग्राम में,
अनवरत युद्ध करते हुए लड़ते हुए मरो।

जब बेघर और कठिन परिस्थितियों में,
रहते हुए जीव जंतु,
आत्महत्या कभी नहीं करते,
फ़िर तुम तो उस ब्रह्म का अंश हो,
और बुद्धिबल सम्पन्न हो,
अतः हे नर रत्न,
आत्महत्या जैसी कायरता का,
मन से पूर्णतया त्याग करो,
स्वयं में आशा का संचार करो।

जब तक जियो वीर सैनिकों की तरह जियो,
हर पल उत्साह उमंग और उल्लास से जियो,
निराशा को पास मत फटकने दो,
और हर पल जीवन के प्रति आशावान रहो।

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

पुस्तक – *निराशा को पास न फटकने दें, निम्नलिखित लिंक पर जाकर पढ़ें*

http:// literature. awgp. org/ book/Nirasha_Ko_Pass_Na_Fatakane_De/v1

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