अभ्यास और वैराग्य से ही मन और काम नियंत्रित किया जा सकता है।

बिल्ली को जितना भी दूध पिलाओ कभी तृप्त नहीं हो सकती, बकरी को कितना भी चारा खिलाओ हरा चारा देख के मुंह मारेगी ही। मनुष्य को जितना भी काम की छूट दो यदि व्यसनी हुआ तो मुंह मारेगा ही।

काम एक मानसिक पॉटी है, इसे अभ्यास से ही नियंत्रित किया जा सकता है, जहाँ तहाँ खुले में पॉटी करने नहीं दिया जा सकता।

भगवान ने गीता में कहा था मात्र अभ्यास और वैराग्य से ही मन और काम नियंत्रित किया जा सकता है।

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